बंडामुंडा इलेक्ट्रिक शेड को मिला तीन वाग -11 लोको इंजन
दक्षिण- पूर्व रेलवे (दपूरे) का पहला तीन वाग-11 लोको इंजन की देखरेख का जिम्मा बंडामुंडा इलेक्ट्रिक शेड को मिला है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : दक्षिण- पूर्व रेलवे (दपूरे) का पहला तीन वाग-11 लोको इंजन की देखरेख का जिम्मा बंडामुंडा इलेक्ट्रिक शेड को मिला है। बनारस से टाटा होते हुए पहला वाग-11 लोको इंजन रविवार की रात को बंडामुंडा पहुंच गया। बहुत जल्द और दो वाग-11 लोको इंजन बंडामुंडा इलेक्ट्रिक शेड में आएंगे। डब्ल्यूएजी वाग -11 लोको इंजन में दो इंजन को मिला कर एक लोको इंजन बनाया गया है। इसमें दो केबिन हटा दिए गए हैं। इसके इस्तेमाल होने से रेलवे की समय की बचत और अधिक क्षमता की लोडिग की जाएगी। वाग-11 लोको इंजन की शुरुआत 2017 में की गई थी। शुरुआती दिनों में भारतीय रेलवे में डीजल लोकोमोटिव पर निर्भरता को कम करने के लिए निर्णय लिया गया। अंत में वाग -11 लोको इंजन भारतीय रेलवे में विद्युतीकृत मार्गों का विस्तार भी ऊर्जा लागत को कम करने में मदद करेगा। इसलिए पूर्ण विद्युतीकरण के बाद डब्ल्यूडीजी- 4 डीजल इंजनों की एक बड़ी संख्या कम की जा रही है।
इस प्रकार भारतीय रेलवे ने मौजूदा डब्ल्यूडीजी- 4 लोकोमोटिव को बदलने का फैसला किया। इसे वाग -11 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव क्लास में मिडलाइफ़ ओवरहाल की जरूरत थी। वाग- 11 की बॉडी डीजल लोको की है। जबकि अंदर का इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रिक लोको का है। दो इंजन को मिला कर वाग-11 एक इंजन बनाया गया है। इसकी क्षमता 12000 एचपी की हे। पहले रेल के दो लोको इंजन 6000 एचपी को मिला कर 12000 एचपी किया जाता था। वाग - 11 लोको इंजन अधिकतर पहाड़ी इलाके में इस्तेमाल होता है। यहां पर इंजन ज्यादा क्षमता बल की जरूरत होती है। अन्य जगह पर 5000 एचपी क्षमता वाले एक इंजन का इस्तेमाल होता है। इसलिए वाग-11 का इस्तेमाल सिर्फ ईस्ट कास्ट एसईंआर और एसईसीआर रेल में होगा। यह इंजन 105 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगा।