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सपना हुआ साकार: माउंट किलिमंजारो पर पड़े संबलपुर की बेटी त्रिशा के कदम

ओडिशा में इतिहास को 16 वर्षीय त्रिशा ने दोहराया है। त्रिशा माउंट किलिमंजारो के शिखर पर पहुंची और अपने सपने को पूरा किया।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 12:48 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 12:48 PM (IST)
सपना हुआ साकार: माउंट किलिमंजारो पर पड़े संबलपुर की बेटी त्रिशा के कदम
सपना हुआ साकार: माउंट किलिमंजारो पर पड़े संबलपुर की बेटी त्रिशा के कदम

संबलपुर, जेएनएन। अफ्रीका महादेश के तंजानिया में स्थित विश्व की चौथी उंची शिखर माउंट किलिमंजारो में संबलपुर की बेटी त्रिशा अग्रवाल के कदम भी पड़ गए। इससे पहले वर्ष 2011 में पश्चिम ओडिशा के कालाहांडी जिला के नर्ला निवासी अध्यापक योगव्यास भोई इस शिखर पर पहुंचकर तिरंगा फहराया था। इसी इतिहास को 16 वर्षीय त्रिशा ने दोहराया है। भारतीय समय के अनुसार 12 सितंबर के दिन त्रिशा माउंट किलिमंजारो के शिखर पर पहुंची और वर्षों से सजाए गए अपने सपने को साकार किया।

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माउंट किलिमंजारो की ऊंचाई 5895 मीटर यानि 19341 फीट है। ऊंचाई पर चढ़ने के लिए त्रिशा को घने जंगल, नदी, पथरीले रास्ते पार करना पड़ा। उसकी आखरी चढ़ाई में करीब 12 घंटे का समय लगा। टाउन थाना अंतर्गत ग्रीन पार्क में रहने वाले लायन सिद्धेश अग्रवाल और नीतू अग्रवाल की बेटी त्रिशा को बचपन

से ही एडवेंचर के प्रति विशेष लगाव रहा है। पहाड़ों पर ट्र्रैकिंग करना उसका शौक है। इसी लगाव और शौक ने उसे विश्व की चौथी उच्चतम शिखर की ओर आकर्षित किया और वह इसमें सफल रही। सेंट जोसफ कान्वेंट स्कूल की छात्रा त्रिशा वर्तमान में ग्वालियर स्थित सिंधिया कन्या विद्यालय की छात्रा है। उसके पिता सिद्धेश अग्रवाल के अनुसार माउंट किलिमंजारो पर चढ़ने का सपना लेकर त्रिशा पांच सितंबर को ग्वालियर से नई दिल्ली के रास्ते अफ्रीका के लिए रवाना हुई। सितंबर छह तारीख के दिन वह मोशी स्थित किलिमंजारो एअरपोर्ट पर पहुंची और सात सितंबर के दिन से उसने अपना अभियान शुरु किया।

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सितंबर 11 की रात अंतिम बेस कैंप से चढ़ाई शुरु की और 12 सितंबर के दिन त्रिशा ने अपना कदम विश्व की चौथी उच्चतम शिखर पर रखा। त्रिशा की इस सफलता पर उसका सारा परिवार गदगद है। पिता सिद्धेश की माने तो त्रिशा की तरह अन्य युवतियों को भी जीवन में नया करने की जरुरत है। इससे उनकी अपनी एक पहचान बन सकेगी। 

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