महानदी के इस पुल से संवरेगी सात गांव के दस हजार लोगों की तकदीर
नए साल में संबलपुर मुख्यालय से जुड़ेगी कुदगुंडेरपुर पंचायत खत्म होने को है यहां के लोगों का दशकों का इंतजार।
संबलपुर, राधेश्याम वर्मा। दशकों से तमाम समस्याओं के बीच अलग-थलग हो टापू में जीवन बिता रहे कुदगुंडेरपुर पंचायत के सात गांव के करीब दस हजार लोगों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगी है। शायद अब मुख्यधारा से जुड़कर आम शहरियों की तरह जीवनयापन कर सकें।
दशकों से सुविधाओ की बाट जोह रहा यह पंचायत क्षेत्र शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह पंचायत उपेक्षित रहा। कुदगुंडेरपुर से मूल भूखंड के बीच 35 करोड़ रुपये की लागत से 450 मीटर लंबा ब्रिज निर्माण कराया जा रहा है। पुल चालू होने के बाद यहां के लोगों का सीधा जुड़ाव संबलपुर से हो जाएगा। बाढ़ अपने पर बढ़ जाती है मिट्टी की
उर्वरता: तमाम परेशानियों व कष्ट को झेलते रहने के आदि बन चुके यहां के निवासियों के लिए एक लाभ की बात यह रही है कि महानदी की बाढ़ तमाम परेशानियां लेकर आती है लेकिन बाढ़ के साथ आनेवाली उर्वर मिट्टी से यहां सब्जी व फसलों की उत्पादकता बढ़ जाती है। पंचायत में अच्छी खेतीबाड़ी होती है।
सत्तर के दशक में मिलनी शुरू हुई सिंचाई की सुविधा
बताया जाता है कि सत्तर के दशक में तत्कालीन मंत्री श्रीवल्लभ पाणिग्राही की कोशिशों के बाद पंचायत में महानदी के पानी से सिंचाई का काम शुरू हुआ था। इससे किसानों को थोड़ी राहत तो मिली लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह पंचायत उपेक्षित रहा। पढाई के लिए पंचायत के विद्यार्थियों को मूल-भूखंड में रहने वाले रिश्तेदारों के घर या हॉस्टल में रहना पड़ता है। इलाज के लिए भी मरीज को नाव से अस्पताल लाया जाता है। और तो और रोजाना की जरूरतों के लिए भी लोगों को नाव से मूल भूखंड आना जाना पड़ता है।
450 मीटर लंबे पुल का निर्माण अंतिम चरण में
कुदगुंडेरपुर से मूल-भूखंड के बीच 35 करोड़ रुपये की लागत से 450 मीटर लंबाई वाले ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है। बताया गया है कि इसी दिसंबर महीने में ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा और नए साल में इसका उदघाटन भी कर दिया जाएगा। इस ब्रिज के चालू हो जाने से कुदगुंडेरपुर पंचायत के लोगों का मूल भूखंड तक आना जाना आसान हो जायेगा और पंचायत के साथ-साथ वहां के लोगों का दशकों पुराना सपना साकार होगा और उनका जीवन भी संवर जायेगा।
50 वर्ष से हो रही पुल की मांग, पहले भी निकाली जा चुकी निविदा
कुदगुंडेरपुर पंचायत के लोग 50 वर्षों से मूल भूखंड से जुड़ने के लिए महानदी पर पुल के निर्माण की मांग कर रहे थे। इसके लिए वर्ष 2006-2007 और 2014-15 में ग्रामीण विकास विभाग की ओर से कई बार निविदा मंगवाई गई लेकिन किसी भी निर्माण संस्था ने ब्रिज निर्माण का ठेका लेने में रुचि नहीं दिखाई। ऐसे में, सरकार के निर्माण विभाग ने इस ब्रिज निर्माण की जिम्मेदारी ली। प्राक्कलन तैयार कर पुल के निर्माण कार्य शुरू हुआ, जो अब पूरा
होने की ओर है। यह ब्रिज चिपलिमा के पास भूखंड से जुड़ेगा और दशकों पुराना सपना साकार होगा।
यातायात की सळ्गम व्यवस्था का नहीं होना यहां के आर्थिक विकास में बनी रही बड़ी बाधा यहां की मिट्टी उर्वर होने के कारण फसल तो अच्छी हो जाती है लेकिन उत्पादित फसल को अपने टापू से मूल-भूखंड तक लाने के लिए देशी नाव से आना पड़ता है। उसमें ज्यादा वजन नहीं ढो सकते। टापू से नाव पर लाकर जमीने पर उतारने के बाद
फिर किसी वाहन से फसल बाज़ार तक पहुंचता है। इस असुविधा की वजह से लोग फसल को बाज़ार तक लाने से बचते हैं। इस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति भी खास बेहतर नहीं है। समाज की मूलधारा से वंचित कुदगुंडेरपुर पंचायत के लोग अपने रिश्तेदारों से भी कभी कभार ही मिल पाते हैं।
चारों ओर जल ही जल, 70 मीटर चौड़े टापू में कटता रहा जीवन
टापूनुमा स्थल पर बसा कुदगुंडेरपुर पंचायत जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर महानदी के बीच है। इस भू स्थल की लंबाई दो किमी और चौड़ाई 70 मीटर है। चारों तरफ महानदी के पानी से घिरे होने के कारण यहां तक पहुंचने और वापस आने के लिए दशकों से देशी नाव ही एकमात्र सहारा रहा है।
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