ओडिशा की पहली ऐसी जेल जिसे मिला ये प्रमाणपत्र, कैदियों की मेहनत रंग लायी
संबलपुर जेल के कैदियों द्वारा बुने गये सूती वस्त्रों को सरकार ने हैंडलूम मार्क का प्रमाणपत्र दिया है ओडिशा की ये पहली ऐसी जेल है जिसे ये प्रमाणपत्र दिया गया है।
संबलपुर, जेएनएन। करीब सवा सौ साल पहले अंग्रेजों द्वारा स्थापित संबलपुर मंडल जेल ने एक उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। जेल के कैदियों द्वारा बुने गए सूती वस्त्रों को भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय ने हैंडलूम मार्क का प्रमाणपत्र प्रदान किया है। मंत्रालय के विकास आयुक्त की ओर से जारी प्रमाणपत्र संबलपुर ग्रामीण विकास संस्था के परियोजना निदेशक सुकांत त्रिपाठी और ओरमास के सहायक निदेशक श्रीमंत होता ने शुक्रवार को मंडल जेल के अधीक्षक अमिय पटनायक को सौंपा। कपड़ा मंत्रालय ने कैदियों के बुने वस्त्रों को दी मान्यता, ओडिशा की पहली जेल जिसे ये प्रमाणपत्र दिया गया है।
यह हैंडलूम मार्क प्रमाणपत्र कपड़ा मंत्रालय की ओर से विशुद्ध सूती वस्त्रों को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रदान किया जाता है। ओडिशा में संबलपुर मंडल जेल पहला जेल है जिसे यह प्रमाणपत्र प्रदान किया गया है। इस संबंध में जेल के अधीक्षक का कहना है कि जेल में बुने गए सूती वस्त्रों को मिली भारत सरकार की मान्यता से कैदियों का उत्साह बढ़ा है। वर्तमान समय में मंडल जेल में दस करघा है। जेल के कैदी इन पर विशुद्ध सूती के गमछे, चादर, रूमाल समेत अन्य वस्त्रों की बुनावट करते हैं। प्रति वर्ष करीब पांच लाख रुपये का सूती वस्त्र बाजार में बेचा जाता है। अब यहां तैयार सूती वस्त्रों को कपड़ा मंत्रालय से प्रमाणपत्र मिल जाने से इनकी लोकप्रियता बढ़ेगी और बाजार से बेहतर कमाई हो सकेगी। इससे न केवल जेल की आमदनी बढ़ेगी बल्कि कैदियों की भी कमाई बढ़ेगी।
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पटनायक ने बताया कि जेल में तैयार सूती वस्त्रों को आने वाले दिनों में संबलपुर पल्लीश्री मेला समेत अन्य प्रदर्शनियों में प्रदर्शित करने समेत ईकॉमर्स साईट फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि के माध्यम से देश- विदेश में बेचे जाने की व्यवस्था की जाएगी।
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