ममता के आगे टूट गई उपहासों की दीवार
मजदूरी के बल पर पांच बेसहारा बच्चों को पाल रही महुलछपाल गांव की राधिका।
बामड़ा, ज्योति लाठ। कहा जाता है गरीब का दिल बड़ा और महान होता है। इस उक्ति को साकार कर रही हैं संबलपुर जिले के बामड़ा ब्लाक के पिंडापत्थर पंचायत के महुलछपाल गांव की 28 वर्षीय राधिका मांझी। उसके पास मेहनत मजदूरी के सिवाय आय का कोई बड़ा स्रोत नहीं। फिर भी वह अपने पति, दो बच्चों के साथ पांच और बेसहारा बच्चों का पालन पोषण भी कर रही है। इसके लिए लोग भले ही उसका मजाक उड़ा रहे हों पर उसे इसकी परवाह नहीं है। उसके अपने बच्चे जो खा रहे हैं, वही दूसरों के भी बच्चे खाकर बड़े हो रहे हैं। उसे इसी से संतोष है कि वह किसी के तो काम आ रही है।
नौ लोगों के अपने इस परिवार का पालन करने के लिए राधिका हर दिन मेहनत मजदूरी करती है। उससे जो आमदनी होती है उसी से सबका गुजारा हो रहा है। परिवार की हालत ऐसी है कि राधिका अगर एक दिन भी काम पर न जाए तो पूरे परिवार को भूखा रहना पड़ेगा। वह हर रोज सुबह उठते ही काम की तलाश में निकल पड़ती है। उसके अपने परिवार में पति मनबोध माझी, सात साल की बेटी नमिता और चार साल का बेटा आयुष है। इसके अलावा राधिका उन पांच और बच्चों का लालन पालन पोषण करती हैं जो किन्हीं न किन्हीं कारणों से बेसहारा हो गए। साथ ही पड़ोस में रहने वाले एक दिव्यांग की भी देखभाल करने से पीछे नहीं हटती।
राधिका ने बताया कि दो साल पहले महुलछपाल गांव के किसानपाड़ा निवासी 40 वर्षीय लबनी माझी व उनकी 35 वर्षीय पत्नी जामवंती माझी गरपोष के निकट दुर्घटना के शिकार हो गए। लबनी लकवा का शिकार हो गए जबकि जामवंती की मौत हो गई। उनके तीन बच्चों 12 वर्षीय दीपा, नौ वर्षीय अंजलि और छह वर्षीय अभिषेक का कोई सहारा न था। ऐसे में राधिका ने इन बच्चों का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया।
सप्ताह भर पहले पति की पिटाई से मौत की शिकार गांव की प्रभासिनी के दो बच्चे सात वर्षीय सोमवारी और चार साल की नीलिमा की भी देखभाल का जिम्मा राधिका ने ही उठा लिया है। इस तरह महीने में राशन कार्ड पर मिले 20 किलोग्राम अनाज और दैनिक मजदूरी से मिले पैसे से वह अपने इस परिवार का पालन पोषण कर रही है। इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने के बावजूद राधिका के इस काम की प्रशंसा करने वाले नहीं के बराबर हैं। उल्टे लोग उसका मजाक उड़ाते हैं। इसके बावजूद राधिका को इन सब बातों की बिल्कुल परवाह नहीं है। वह अपने काम में जुटी हुई है।