संबलपुर जिला में नक्सली हिंसा के 19 वर्ष
रविवार से ठीक उन्नीस वर्ष पहले संबलपुर जिला में पहली बार नक्सली हिंसा की वारदात के बाद जिला के रेढाखोल उपसंभाग के विभिन्न इलाकों में नक्सलियों के घुसपैठ के बारे में पुलिस और लोगों को पता चला था।
संवाद सूत्र, संबलपुर : रविवार से ठीक उन्नीस वर्ष पहले, संबलपुर जिला में पहली बार नक्सली हिंसा की वारदात के बाद जिला के रेढाखोल उपसंभाग के विभिन्न इलाकों में नक्सलियों के घुसपैठ के बारे में पुलिस और लोगों को पता चला था। नक्सलियों ने 23 जनवरी 2003 की सुबह, जिला के जुजुमुरा थाना अंतर्गत मेघपाल गाव में पूर्व सरपंच व टापरगढ़ के जमींदार परिवार के सदस्य कादर सिंह की सरेआम हत्या कर दी थी। कादर सिंह की इस निर्मम हत्याकाड के बाद इलाके में नक्सलियों की घुसपैठ और उनके समर्थकों के बारे में पता चला था।
इस नक्सली हिंसा के बाद संबलपुर जिला के विभिन्न थाना इलाकों में नक्सली हिंसा शुरू हो गई। नक्सलियों का एक कैडर सदस्य संबलपुर शहर में आकर रहने लगा था। पुलिस और सुरक्षा बल की सहायता से जिला में नक्सलियों का दमन किया गया। इस दौरान दर्जन भर से अधिक नक्सलियों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर आत्मसमर्पण कर समाज के मुख्यधारा में शामिल भी हुए। यही वजह है कि बीते करीब सात वषरें के दौरान जिला में एक भी नक्सली वारदात नहीं हुई है, लेकिन सरकार की ओर से एहतियात के तौर पर जुजुमुरा और संबलपुर में सीआरपीएफ को तैनात रखा गया है। बुर्ला पुलिस की गिरफ्तार में पांच संदिग्ध डकैत : उपनगर बुर्ला निकटस्थ गोलगुंडा चौक में कहीं डकैती की योजना बनाते पाच संदिग्ध डकैतों को बुर्ला थाना की पुलिस ने शनिवार के दिन हथियारों के साथ गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
बुर्ला पुलिस के अनुसार, शुक्रवार की रात कुछ युवक गोलगुंडा चौक के निकट जमा होकर डकैती की योजना बना रहे थे। इस बारे में सूचना मिलते ही पुलिस ने कार्रवाई करते हुए घटनास्थल पर पहुंची और बुर्ला के वन-आर कॉलोनी इलाके के मदन मोहन जेना, सूरज बारिक और अनिल सुना समेत गोशाला इलाके के सुनील शर्मा और सुशात दीप को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया।