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संबलपुर आइआइएम के 12 छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई

गुरु दिवस के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस आइआइएम के स्थाई कैंपस की घोषणा की थी और इसी के बाद से संबलपुर आइआइएम सुर्खियों में है।

By Edited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 04:04 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 10:47 AM (IST)
संबलपुर आइआइएम के 12 छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई
संबलपुर आइआइएम के 12 छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई

संबलपुर, जेएनएन। तीन वर्ष पहले शुरू संबलपुर आइआइएम पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है। गुरु दिवस के दिन केंद्रीय कैंबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आइआइएम के स्थाई कैंपस के लिए 401.94 करोड़ रुपये राशि की घोषणा की थी और इसी के बाद से संबलपुर आइआइएम सुर्खियों में है। स्थाई कैंपस के लिए स्थाई जमीन पट्टा को लेकर ओडिशा सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय के बीच रार के बाद अब आइआइएम के निदेशक प्रो. महादेव जायसवाल और संबलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीपक कुमार बेहेरा के बीच रार पैदा हो गया है।

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बताया गया है कि यह रार आइआइएम के 12 विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़कर वापस लौट जाने को लेकर पैदा हुआ है। आरोप है कि संबलपुर विश्वविद्यालय परिसर में स्थित आइआइएम के हॉस्टल में कमी की वजह से दर्जन भर विद्यार्थी पढ़ाई छोड़कर चले गए जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बेहेरा इसे मानने से इंकार कर रहे हैं। गौरतलब है कि जब संबलपुर आइआइएम शुरू हुआ था तब सासन निकटस्थ सिलिकॉन इंस्टीट्यूट को अस्थाई कैंपस बनाया गया था और दो वर्ष बाद इसे संबलपुर विश्वविद्यालय परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया। विश्वविद्यालय परिसर में भी हॉस्टलों की कमी की वजह से आइआइएम के विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

संबलपुर आइआइएम के निदेशक प्रो. जयसवाल के अनुसार विश्वविद्यालय परिसर में हॉस्टलों की कमी की वजह से 12 विद्यार्थी पढ़ाई अधूरी छोड़कर वापस चला गया। लेकिन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बेहेरा का मानना है कि पढ़ाई अधूरी छोड़कर चले जाना कोई नई बात नहीं। इसके पीछे कई वजह हो सकती है। कुछ विद्यार्थी नए महौल में घुलमिल नहीं पाने के कारण भी पढ़ाई छोड़कर चले जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में एक नए हॉस्टल का निर्माण कराया जा रहा है। निर्माण कार्य का जिम्मा निर्माण विभाग को सौंपा गया है। अगस्त महीने तक यह हॉस्टल विश्वविद्यालय को सौंपा जाना था लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

उधर, निर्माण विभाग के डिवीजन-2 के निर्वाही इंजीनियर वशिष्ठ पटनायक के अनुसार, हॉस्टल का निर्माण, डिपोजिट वर्क की श्रेणी में आता है इसके लिए विश्वविद्यालय को एडवांस राशि देना चाहिए लेकिन पिछले एक महीने से विश्वविद्यालय प्रबंधन 92 लाख रुपये का बकाया राशि देर से चुकाया। जिसकी वजह से निर्माण कार्य रुक गया था और अब जाकर फिर से शुरू हुआ है। इस हॉस्टल के निर्माण के लिए चार करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है। माना जा रहा है कि बसंतपुर में स्थाई कैंपस का निर्माण नहीं होने तक आइआइएम के विद्यार्थियों के लिए नया हास्टल काम आएगा।


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