Move to Jagran APP

जुर्माना भर समाज में शामिल पुसू का हुक्कापानी बंद

आजादी के 70 साल बाद भी देश में सामाजिक हुक्कापानी बंद करने जैसी प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 11:21 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 06:23 AM (IST)
जुर्माना भर समाज में शामिल पुसू का हुक्कापानी बंद
जुर्माना भर समाज में शामिल पुसू का हुक्कापानी बंद

संवादसूत्र, बामड़ा : आजादी के 70 साल बाद भी देश में सामाजिक हुक्कापानी बंद करने जैसी प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है। वनवासी समाज द्वारा हुक्कापानी बंद करना और फिर शामिल करने के लिए मानसिक उत्पीड़न और आíथक बोझ का शिकार हो रहे हैं। इस अन्याय के खिलाफ पीड़ित प्रशासन से गुहार करते हैं लेकिन उनकी समस्या का निराकरण हो पाता है। ऐसा ही एक मामला स्थानीय केसाइबहाल पंचायत के पारीमुंडा निकितिमाल गांव से सामने आया है। 25 साल पहले पड़ोसी राज्य झारखंड के सिमडेगा अंचल से पुसू माझी, पत्नी बबली के साथ रोजगार की तलाश में यहां आए और पारीमुंडा गांव में बस गए थे। पुसू ने भुक्ता समाज की लड़की बाइली माझी से प्रेम विवाह किया था जिसे सिमडेगा गोंड समाज ने स्वीकृति भी दी थी। पारीमुंडा में बसने के बाद पुसू ने उत्तरगांव आंचलिक गोंड समाज कमेटी को समाज मे शामिल करने के लिए आवेदन किया था। कमेटी ने झारखंड गोंड़ समाज की लिखित स्वीकृति के बावजूद 2001 में पुसू को 10,000 जुर्माना भरने को कहा। पुसू के जुर्माना भरने के बाद उसे समाज मे शामिल कर लिया गया। लेकिन ऊपर बामड़ा स्टेट कमेटी, कुचिंडा परिषद 22 मई 2019 को एक विशेष बैठक बुलाकर उत्तरगांव कमेटी द्वारा पुसू को दी गई सामाजिक मान्यता को रद कर दिया। इतना नहीं उत्तरगांव कमेटी को पत्र लिखकर समाज के 2 पदाधिकारियों को 20,000 रुपये, सर मुंडवाने के साथ समाज के 80 सदस्यों को 1000 रुपये देने पर गोड़ समाज में शामिल होने का फरमान जारी किया। तत्कालीन उत्तरगांव कमेटी के अध्यक्ष ने इसकी शिकायत संबलपुर जिलाधीश से की। जिलाधीश ने कुचिंडा एसडीएम को मामले की जांच करने का निर्देश दिया। एसडीएम ने समाज के सभापति को पत्र लिखकर हुक्कापानी बंद करना, आíथक दंड लेना आदि घटना को गैरकानूनी बताया और इससे बाज आने की चेतावनी दी। लेकिन एसडीएम की चेतावनी को दरकिनार करते हुए ऊपर बामड़ा स्टेट कमेटी, कुचिंडा परिषद ने विगत 11 जनवरी को निकितिमाल केंदुपत्ता फड़ी में बैठक कर र 20 लोगों से एक-एक हजार रुपये और भुजी के नाम का प्रत्येक व्यक्ति से सात-सात सौ रुपये जुर्माना वसूला गया।

loksabha election banner

प्रमाणपत्र के अभाव में कुंवारी बैठीं पुसू की बेटियां : गोंड समाज के दकियानूसी फरमान के चक्कर में पुसू माझी का परिवार बेहाल है। समाज के प्रमाणपत्र के अभाव में पुसू के बच्चों के हाथ पीले नहीं हो पा रहे हैं। उसकी दो बेटी सत्यभामा माझी (24) और ललिता माझी (22) और एक बेटा बैसाखू माझी (20) की अबतक शादी नहीं हो पायी है। इस संबंध में पुसू माझी ने महुलपाली थाना, कुचिंडा एसडीएम, डीएम को अनेक बार लिखित शिकायत कर चुके है। सोलबगा गांव के देवकरण माझी को भी अंतरजातीय महिला से विवाह करने पर सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ रहा है।

----------

कोट :

आम नागरिक को संविधान में मिले मौलिक अधिकारों का यह हनन है। सामाजिक व्यवस्था के नाम पर लोगों का उत्पीड़न और शोषण हो रहा है, इस पर न्याय सम्मत कारवाई होनी चाहिए।

रवींद्र नायक, समाजसेवी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.