Move to Jagran APP

भाषा को समृद्ध करने आंचलिक शब्दों का संकलन आवश्यक : नरसिंह गुरु

पांच दशकों से कोसली- संबलपुरी और ओड़िया भाषा और साहित्य की साधना कर रहे सेवानिवृत शिक्षक नरसिंह प्रसाद गुरु का सपना साकार हो गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 08:10 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 08:10 AM (IST)
भाषा को समृद्ध करने आंचलिक शब्दों का संकलन आवश्यक : नरसिंह गुरु
भाषा को समृद्ध करने आंचलिक शब्दों का संकलन आवश्यक : नरसिंह गुरु

संवाद सूत्र, संबलपुर : पांच दशकों से कोसली- संबलपुरी और ओड़िया भाषा और साहित्य की साधना कर रहे सेवानिवृत शिक्षक नरसिंह प्रसाद गुरु का सपना साकार हो गया। लंबे इंतजार के बाद इस बार केंद्र सरकार की ओर से उन्हें पद्मश्री सम्मान देकर सम्मानित किया गया।

loksabha election banner

पश्चिम ओडिशा के बलांगीर शहर के रामजीपाड़ा में सपरिवार रहने वाले सेवानिवृत शिक्षक व साहित्य साधक गुरु ने पद्मश्री की घोषणा के बाद अपनी प्रतिक्रिया में बताया कि पिछले तीन वर्षों से उन्हें इस सम्मान का इंतजार था, जो अब जाकर साकार हुआ है। उन्होंने बताया कि यह सम्मान मिलने की उन्हें इतनी खुशी मिली है, जिसे किसी भी भाषा और शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता।

कोसली- संबलपुरी और ओड़िया भाषा की दर्जनों पुस्तकों की रचना कर चुके पद्मश्री गुरु ने अपनी समस्त रचनाओं में से 2016 में प्रकाशित 'कोसली ओड़िया अभिधान' नामक पुस्तक को अपना प्रिय पुस्तक बताया है। इस पुस्तक के प्रकाशित और विमोचन को वह चिरस्मरणीय बताते हैं। इस पुस्तक से उन्हें आत्म संतुष्टि मिली है। उन्होंने आंचलिक भाषा की समृद्धि के लिए अधिक से अधिक आंचलिक शब्दों का संकलन किए जाने पर जोर दिया है। इसके लिए जारी अपने प्रयास के बारे में बताने समेत अफसोस जताया कि पश्चिम ओडिशा की इस भाषा को अबतक संविधान में स्वीकृति नहीं मिल सकी है। पद्मश्री गुरु ने बताया कि आंचलिक भाषा के प्रचार व प्रसार के लिए भाषा को पाठ्यक्रमों में शामिल करने और आंचलिक भाषा में पाठ्य पुस्तकों की रचना भी आवश्यक है।

कोसली भाषा में प्रकाशित पुस्तकें :

कोसली शिशु साहित्य

पश्चिम ओड़िशार लोक साहित्य संपद

गुटे माली चांगरे फूल

उदिया जन

आमर कथानी

मोर कथा टीके सुनुनत

कोसली ओड़िया अभिधान। ओड़िया साहित्य पुस्तकें :

तीर्थ माटी

मुठाए माटी

पश्चिम ओड़िशार सांस्कृतिक संपद

शिशु साहित्य

पश्चिम ओड़िशार दर्शनीय स्थान

नरककु जाओ हे साधुमाने

नाटक- उत्तर पुरुष

सहज तुटुका चिकित्सा

नित्यकर्म पूजाविधि।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.