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भिखारी मुक्त संबलपुर शहर का सपना हुआ साकार

भिखारी मुक्त संबलपुर शहर का सपना आखिर बुधवार19 जनवरी के दिन साकार हो गया। महानदी की दूसरी तरफ स्थित बुर्ला थाना अंतर्गत बैजामुंडा गांव के निकट 25 करोड़ 43 लाख 62 हजार रुपये की लागत से निर्मित आइआइसी कांप्लेक्स का शुभारंभ उत्साह के साथ हुआ।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 07:58 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:58 AM (IST)
भिखारी मुक्त संबलपुर शहर का सपना हुआ साकार
भिखारी मुक्त संबलपुर शहर का सपना हुआ साकार

संवाद सूत्र, संबलपुर : भिखारी मुक्त संबलपुर शहर का सपना आखिर बुधवार,19 जनवरी के दिन साकार हो गया। महानदी की दूसरी तरफ स्थित बुर्ला थाना अंतर्गत बैजामुंडा गांव के निकट 25 करोड़ 43 लाख 62 हजार रुपये की लागत से निर्मित आइआइसी कांप्लेक्स का शुभारंभ उत्साह के साथ हुआ। वर्तमान इस कांप्लेक्स में 47 असहाय, बेघर और भिखारियों का पुनर्वास किया गया है।

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बुधवार के दिन, उत्तरांचल राजस्व आयुक्त डॉ. सुरेशचंद्र दलेई, जिलाधीश दिव्यज्योति परिडा, पुलिस अधीक्षक बाटुला गंगाधर और जिला दिव्यांग विभाग के अधिकारी रविद्र कुमार शतपथी की उपस्थिति में इस कांप्लेक्स का शुभारंभ हुआ। करीब 6597 वर्ग मीटर की भूमि के 3073 वर्ग मीटर में निर्मित इस कांप्लेक्स में 112 कमरे, 3 भोजन कक्ष, 2 बड़े शयनकक्ष, 2 प्राथमिक चिकित्सा कक्ष, ऑफिस, स्वागत कक्ष, मनोरंजन कक्ष, सुरक्षाकर्मियों का कक्ष, स्टॉफ रूम, 6 स्टोर रूम, खाद्य सामग्री रखने का कक्ष, रसोईघर, बॉथरूम, टॉयलेट, रीडिग रूम आदि हैं। बताया गया है कि संबलपुर शहर को भिखारी मुक्त करने के लक्ष्य को लेकर संबलपुर जिला सामाजिक सुरक्षा और जिला दिव्यांग सशक्तीकरण विभाग की ओर से बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मंदिर, मॉल आदि इलाके में सर्वे किया गया था और इसी के बाद वहां से असहाय, बेघर और भिखारियों को लाकर इस कांप्लेक्स में रखा गया है। बताया गया है कि कांप्लेक्स में रहने वालों को दक्षता विकास के लिए प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया जाएगा। उनके स्वस्थ की देखभाल के लिए योग का अभ्यास भी कराया जाएगा। कश्मीरी पंडितों का शीघ्र हो पुनर्वास : कश्मीर से 32 साल पूर्व निर्वासित चार लाख कश्मीरी पंडितों का शीघ्र पुनर्वास करने की मांग विहिप की ओर से की गई है। विहिप नेता शांतनु कुसुम ने इसके लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है एवं उन्हें कश्मीर में शीघ्र सरकारी नौकरी देकर पुनर्वास कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि अपने ही देश में कश्मीरी पंडित शरणार्थी जीवन जीने को विवश हैं। लोकतांत्रिक देश में 32 साल से उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। अपना घर बार छोड़ कर जान बचाकर भागे कश्मीरी पंडितों का दुख दर्द समझने वाला कोई नहीं है। उनके शीघ्र पुनर्वास एवं सभी तरह की सरकारी सुविधा व सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध उन्होंने किया है।


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