एक और चारा घोटाला, खर्च हुआ 2.13 करोड़ लेकिन कोई हिसाब नही
राउरकेला वन विभाग चारा रोपण को लेकर भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है यहां 874.5 हेक्टेयर में चारा रोपण किया गया 11.5 लाख के चारा रोपण पर 2.13 करोड़ खर्च हुआ। लेकिन किस जगह पर कितना चारा रोपण हुआ इसकी जानकारी वन विभाग के पास नहीं है।
राउरकेला, जागरण संवाददाता। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष वन महोत्सव का पालन किया जाता है। वन विभाग अपने विभिन्न रेंज के अंतर्गत आने वाली जगहों पर चारा रोपण करती है। इसके साथ ही विभिन्न सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थान भी विभिन्न तरह के चारों का निशुल्क वितरण करती है। इस बाबत खर्च करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए की राशि मंजूर करती है। लेकिन जिन जगहों पर चारा रोपण किया जाता है उसका वास्तविक चित्र इससे काफी उलट है। जिन जगहों में चारा रोपण किया जाता है वहां की 96 से 97 फीसद चारा बचने का दावा वन विभाग करता है। लेकिन स्थल का निरीक्षण करने पर वन विभाग का झूठ पकड़ में आ जाता है। इसका ज्वलंत उदाहरण राउरकेला वन विभाग है।
राशि हड़पने का लगा आरोप
किस जगह पर कितना चारा लगाया गया है, इस पर कितने रुपए खर्च किया गए है, इसका कोई भी हिसाब वन विभाग के पास नहीं है। वन विभाग कार्यालय व रेंज कार्यालय के कुछ अधिकारी, कर्मचारी चारा रोपण का प्रभार संभालने वाली संस्था के साथ मिलकर इस बाबत आने वाली राशि को हड़पने का आरोप लग रहा है । साल या दो साल नहीं बल्कि कई सालों से इस तरह के भ्रष्टाचार किए जा रहे है। विभिन्न कोष से आने वाली राशि से जितना चारा रोपण पर खर्च किया जा रहा है, उससे कहीं ज्यादा की राशि हड़प ली जा रही है। राउरकेला वन खंड के अधीन 6 रेंज आते हैं। इन 6 रेंज में 2019- 20 वित्तीय वर्ष में केवल बिसर, कुआरमुंडा, राजगांगपुर व बिरमित्रपुर रेंज के कुल 874.5 हेक्टेयर जमीन पर 11 लाख 5 हजार 825 चारा का रोपण किया गया है।
इस बाबत कुल 2 करोड़ 15 लाख 5 हजार 189 रुपए खर्च किए गए। बिसरा के तालबहाल, बड़ रामलोई, कोकेरमा, झारबेड़ा, तुलसीकानी, कालियापोष, बरसुआं, मनको, ऊपरबहाल, डूडूरता, हरिहरपुर, सान रामलोई आदि क्षेत्र के 10 हेक्टेयर जमीन पर चारा रोपण किया गया है। इसी तरह कुआरमुंडा के बिरडा में 10 हेक्टेयर, राजगमपुर के अलंड़ा में 8 हेक्टेयर, सागजोर में 8 हेक्टेयर, मालडीह में 2 हेक्टेयर, लूधबासा में 2 हेक्टेयर, खिलाड़ीपाड़ा में 2 हेक्टेयर, कुलुरखमना में 3 हेक्टेयर, चीनीमहूल में 2 हेक्टेयर जगह पर चारा का रोपण किया गया है। लेकिन किस स्थान पर कितना चारा लगाया गया है, इस बाबत कितने रुपए खर्च हुए हैं, इसकी जानकारी वन विभाग के पास नहीं है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इस बाबत खर्च की गई राशि किस मद से आई है इसकी सूचना भी किसी के पास नहीं है।
इसी तरह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से बिरमित्रपुर के करडेगा केएफ की 10 हेक्टेयर, बिसरा रेंज की बरसुआं उपरबहाल केएफ की 3 हेक्टेयर, राजगांगपुर के प्रतापपुर की 10 हेक्टेयर, विसरा महीपानी केएफ की 10 हेक्टेयर, कुंआरमुंडा भैसामुंडा संरक्षित जंगल की 10 हेक्टेयर व राजगांगपुर अलंडा की 10 हेक्टेयर जमीन पर चारा रोपण किया गया है। यहां भी सामान्य स्थिति है। चारा रोपण किस तरह किया गया है यह तो ऊपर बहाल केएफ में लगे चारा को देखकर ही अनुमान लगाया जा सकता है।
कितना चारा लगा उसका हिसाब नहीं
यहां पर कितना चारा लगाया गया था उसका हिसाब नहीं है। लेकिन जितने भी चारा लगाए गए थे उसमें से अधिकांश चारा मर गया है। लेकिन वन विभाग 97 से 98 फीसद चारा के बचने की सफाई दे रहा है। दूसरी और मनरेगा कोष से इन सभी स्थानों में चार रोपण करने के लिए कितने रुपए मंजूर हुई थी। किस-किस अंचल में कितनी राशि खर्च किए गए हैं। इसका भी तथ्य वन विभाग नहीं दे रहा है। केवल मोटा मोटी तौर पर दो करोड़ 15 लाख 5 हजार 189 रुपए खर्च होने की बात कह रहा है। वन विभाग की चारा रोपण के नाम पर चल रही लूट की उच्चस्तरीय जांच किए जाने पर दोषी अधिकारियों के चेहरे से नकाब खुलने के साथ भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकेगा।