सुंदरगढ़ की मासूम ऋतंभरा 30 सेकंड में बताती है भारतीय राज्यों एवं राजधानियों के नाम
सामान्यत बच्चे दो वर्ष की उम्र में अपने पैरों पर चलना दौड़ना मां बाप के अलावा रिश्तेदारों को नाम से पहचानना कुछ पसंदीदा खिलौनों खाद्य पदार्थ व पालतू जानवरों के नाम बोलना सीखते हैं।
संवादसूत्र, सुंदरगढ़ : सामान्यत: बच्चे दो वर्ष की उम्र में अपने पैरों पर चलना, दौड़ना, मां बाप के अलावा रिश्तेदारों को नाम से पहचानना, कुछ पसंदीदा खिलौनों, खाद्य पदार्थ व पालतू जानवरों के नाम बोलना सीखते हैं। मां-बाप की सीख द्वारा कुछ अक्षर, थोड़ी बहुत गिनती, ज्यादा से ज्यादा कुछ सहज गीत सीखते हैं। पर क्या हो जब एक 2 साल की बच्ची 40 जानवरों, उनके 8 शावकों, 12 पक्षियों, 11 कीट, 13 वाहनों, 8 सामाजिक सहायकों, 15 फलों, 15 सब्जियों, सप्ताह के 7 दिनों, 12 महीनों, सभी अंगुलियों के नाम, 40 जोड़ी एक वचन व बहुवचन शब्द बता सकती हो और तो और केवल 30 सेकंड में सभी भारतीय राज्यों व उनकी राजधानियों के नाम बोल सकती हो। ऐसी ही प्रतिभा की मालिक है सुंदरगढ़ शहर के ईब नगर निवासी सुमंत पटेल व रश्मिता पटेल की दो साल की बेटी ऋतंभरा पटेल। सुमंत एमसीएल में ओवरसियर के रूप में कार्यरत हैं। रश्मिता अपने बड़े भाई रोशन के साथ हेलो किड्स नामक स्कूल चलाती हैं। घर में सुमंत के माता-पिता समेत 5 सदस्य साथ रहते हैं। 10 जून 2018 को जन्मी ऋतंभरा की प्रतिभा पहले उसकी मां ने पहचाना, जब वह 1 वर्ष 9 माह की थी। रश्मिता ने गौर किया कि ऋतंभरा को जो शब्द या नाम एक बार बता दिया जाए, उसे वह भूलती नहीं, बल्कि वह उसकी स्मृति में सदा के लिए अंकित हो जाता है। उन्होंने यह बात अपने भाई रोशन को बताई। फिर दोनों ने मिलकर ऋतंभरा को खेल के माध्यम से अक्षर व गिनती याद कराई जिसे उसने बड़ी आसानी से सीख लिया। बड़ी आसानी से व बड़ी जल्दी वह चीजों को सीखने लगी और आज वह 10 अलग-अलग रंगों को पहचानने के साथ-साथ 21 क्रियाओं, 6 फूलों, 10 अलग-अलग पोशाकों व 17 पशुओं के स्वर पहचानती है। रोशन ने अपनी भांजी की वीडियो इंडिया बुक आफ रिकार्ड को भेजी। बाद में उन्होंने आनलाइन ऋतंभरा की प्रतिभा को परखा। उस समय ऋतंभरा 2 साल 3 महीने की थी। 24 सितंबर को इंडिया बुक आफ रिकार्ड ने ऋतंभरा की प्रतिभा को स्वीकृति देते हुए उनके नाम प्रशंसापत्र व मेडल जारी किया। इस सम्मान से ऋतंभरा का पूरा परिवार प्रसन्न है और उन्हें आशा है की इंडिया बुक आफ रिकार्ड के अगले संस्करण में ऋतंभरा का नाम प्रकाशित होगा। पेशे से शिक्षक मां और मामा की आकांक्षा है कि वह शहर के दूसरे ऐसे ही प्रतिभाशाली बच्चों की पहचान कर उनकी प्रतिभा को संवारने की दिशा में काम करें।
दूसरी ओर अपनी उम्र के अनुसार ऋतंभरा को इससे कोई सरोकार नहीं कि उसकी प्रतिभा से न केवल परिवार के लोग, बल्कि दूसरे लोग भी चकित हैं, या उसके नाम इतना बड़ा सम्मान जुड़ चुका है। वह आम छोटे बच्चों की तरह घर में दौड़ने, अपने खिलौनों से खेलने और अपने पसंदीदा खाने की चीजों के लिए हठ करने में मस्त है।