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धान मंडी में मिल मालिकों का राज, सात किलो तक कटौती

सुंदरगढ़ जिले की धान मंडियों में मिल मालिकों का राज चल रहा है। इस पर किसी तरह का अंकुश नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 09:51 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:51 PM (IST)
धान मंडी में मिल मालिकों का राज, सात किलो तक कटौती
धान मंडी में मिल मालिकों का राज, सात किलो तक कटौती

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले की धान मंडियों में मिल मालिकों का राज चल रहा है। इस पर किसी तरह का अंकुश नहीं है। साधारणत: प्रति क्विंटल तीन किलो तक कटौती होनी चाहिए पर यहां सात किलो तक कटौती की जा रही है। कटौती किए बगैर मिलर्स धान नहीं उठा रहे हैं। इसमें लैंपस प्रबंधन की भी मिली भगत है। टांगरपाली ब्लॉक के मंगसपुर लैंपस में श्री राधा कृष्ण फूड प्रोसेसिग राइस मिल के द्वारा 7 से 10 किलो तक कटौती की गई। इसे लेकर किसानों में भारी असंतोष देखा जा रहा है।

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सुंदरगढ़ जिले में मंडियों में प्रति क्विंटल तीन किलो तक कटौती की जा रही थी। किसान भी अधिक झमेला करना नहीं चाह रहे थे एवं इसके लिए तैयार हो गए थे। अब मंडियों में मिल मालिक मनमानी शुरू कर दिए हैं। मंगसपुर मंडी में श्री राधाकृष्ण फूड प्रोसेसिग की ओर से वजन में 7 से 10 किलो तक की कटौती की गई। किसान जब इसका विरोध करने लगे तब मिल मालिक द्वारा धान लेने से इंकार कर दिया गया और ट्रक लेकर वापस चला गया। बाद में दूसरे मिल मालिकों का वाहन वहां आया और धान लेकर गए। इसी प्रकार बड़गांव ब्लॉक के शंकरापोष लैंपस के अधीन शंकरापोष, सिगारमुंडा, जमरला, सहाजबहाल लैंपस के अधीन पामरा मंडी में भी 7 से 10 किलो तक कटौती करने की शिकायत है। मंगसपुर मंडली में 161 किसानों से 7176 क्विंटल धान संग्रह किया गया है। वहीं रेमेंडा मंडी से 56 किसानों से 1996 क्विंटल धान संग्रह किया गया। इस तरह मिलर्स के द्वारा 642 क्विंटल धान की हेराफेरी हुई है। वास्तव में जिले में धान मंडी मिल मालिकों के इशारे पर चल रही हैं। इसमें प्रशासन का अंकुश नहीं है। किसका धान कितना खरीदना है और कितना कटौती करना है, यह मिल मालिक ही तय कर रहे हैं। केवल कस्टम मिल मालिकों को ही धान मंडी में प्रवेश करने एवं खरीदने की अनुमति है जिससे उनकी मनमानी अधिक बढ़ रही है। मंडी में धान की गुणवत्ता की जांच मशीन के जरिए किया जाना चाहिए पर यह केवल नाम मात्र का है। सरकार के निर्देशों का भी उल्लंघन होने से किसान परेशान हैं।


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