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तालूक कानून कमेटी ने बेबस मां को दिलायी बेटी

बणई की एक बेबस मां को तालूक कानून सेवा कमेटी की सहायता से बेटी वापस मिल गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:14 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 11:14 PM (IST)
तालूक कानून कमेटी ने बेबस मां को दिलायी बेटी
तालूक कानून कमेटी ने बेबस मां को दिलायी बेटी

जागरण संवाददाता, राउरकेला : बणई की एक बेबस मां को तालूक कानून सेवा कमेटी की सहायता से बेटी वापस मिल गई है। बेटी का जन्म होने पर पिता ने उसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। तब राजगांगपुर की एक दंपती ने अपने को निसंतान बताकर बेटी को अवैध तरीके से गोद लिया एवं शहर छोड़ कर फरार हो गये थे। अदालत एवं पुलिस के दबाव में दपंती को लौटना पड़ा और जज के समक्ष असली मां को बेटी को सुपुर्द किया गया।

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बणई निवासी दिहाड़ी मजदूर लक्ष्मण पिगुआ की पत्नी दर्शनी पिगुआ ने 16 दिसंबर 2018 को हाइटेक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बेटी को जन्म दिया था। पहले से ही चार साल का बेटा होने के कारण लक्ष्मण ने बेटी को स्वीकार करने से इंकार कर दिया एवं जच्चा बच्चा को छोड़ कर वह फरार हो गया। पानपोष बस्ती निवासी दर्शनी के पिता भीमसेन पात्र ने भी उनके पालन पोषण में असमर्थता जतायी। इसके बाद राजगांगपुर के ईदगाह मोहल्ला निवासी मो. हुसैन व पत्नी जहांनारा ने निसंतान होने की बात कहकर उसे अपनाना चाहा। 13 अगस्त 2019 को वकील मो. ग्यास ने दर्शनी एवं बेटी का पालन पोषण करने वाले मो. हुसैन व पत्नी जहांनारा के बीच एग्रीमेंट कराया कि जब चाहे दर्शनी बेटी से मिल सकती है। इस बीच 5 सितबर 2019 को फर्जी तरीके से गोद देने संबंधित दस्तावेज पर दर्शनी का हस्ताक्षर करा दिया गया। कुछ दिन बाद जब दर्शनी बेटी को देखने के लिए पहुंची तो उसे मिलने नहीं दिया गया एवं दंपती बेटी को लेकर पश्चिम बंगाल के मिदनापुर स्थित हरेकृष्णपुर चले गये। वकील मो. ग्यास से पता लेकर दर्शनी जब हरेकृष्णपुर पहुंची तब वहां से भी उसे धमकी देकर भगा दिया गया। वहां की पुलिस से भी उसे मदद नहीं मिली। उसने राउरकेला आकर रघुनाथपाली व बणई पुलिस से मदद मांगी पर कोई लाभ नहीं हुआ। राउरकेला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश बल से गुहार लगाने के बाद उन्होंने तालूक कानून सेवा कमेटी के अध्यक्ष सह एडीजे दीपक कुमार को मामले से अवगत कराया। उनकी पहल पर रघुनाथपाली पुलिस पर बेटी को वापस लाने का दबाव डाला गया तथा पुलिस का कार्यबल गठित किया गया। पुलिस के दबाव में वकील ने उक्त दंपती को वापस राजगांगपुर बुलाया एवं बुधवार को एडीजे की अदालत में पेश किया। जहां दंपती ने बच्ची को देने से पहले तो मना किया पर जब उन पर अपहरण व जालसाजी का केस बनने की चेतावनी दी गयी तो वे राजी हो गए। इस तरह दो साल से मां से अलग बेटी दर्शनी को मिली।


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