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जीएसटी मामले में अर्बन को-आपरेटिव बैंक पर लटकी कार्रवाई की तलवार

ऑडिटर जनरल ने अर्बन को-आपरेटिव बैंक में फर्जी एकाउंट खोलकर करोड़ों रुपये के लेन-देन व जीएसटी ठगी के मामले की जांच करने का निर्देश दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 06:37 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 06:37 AM (IST)
जीएसटी मामले में अर्बन को-आपरेटिव बैंक पर लटकी कार्रवाई की तलवार
जीएसटी मामले में अर्बन को-आपरेटिव बैंक पर लटकी कार्रवाई की तलवार

जागरण संवाददाता, राउरकेला : ऑडिटर जनरल ने अर्बन को-आपरेटिव बैंक में फर्जी एकाउंट खोलकर करोड़ों रुपये के लेन-देन व जीएसटी ठगी के मामले की जांच करने का निर्देश दिया है। इस बीच यह मामला रिजर्व बैंक के गवर्नर से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक पहुंच चुका है। जीएसटी ठगी करने वाली संस्थाओं के खिलाफ प्रिवेंशन आफ मनी लांडरिग एक्ट लगाकर जांच करने की योजना है।

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राउरकेला को-आपरेटिव बैंक में सैकड़ों फर्जी एकाउंट खोलकर करोड़ों की राशि का लेनदेन हुआ है। ठेका श्रमिक, वाहन चालक, दिहाड़ी मजदूर, गुपचुप विक्रेता, आटो चालक, चाय दुकानदार, अंडा व चाउमिन विक्रेता के नाम पर जीएसटी माफिया के द्वारा फर्जी खाता खोला गया। अब इन निरीह लोगों को जीएसटी की ओर से नोटिस दिया जा रहा है। नोटिस मिलने से उनकी परेशानी बढ़ गई है। सेक्टर-2 के ठेका श्रमिक जमिनीकांत नायक, सेक्टर-20 के वाहन चालक राजेन्द्र पलेइ जैसे लोग परेशान हैं। बैंक के एमडी से फर्जी अकाउंट खोलने की शिकायत के बाद इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई है। हालांकि कमेटी की ओर से बैंक में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होने की बात कही जा रही है। कमेटी ने एडीएम व बैंक प्रबंध निदेशक को भी रिपोर्ट दिया है। परंतु वे पूरा रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होने की बात कर रहे हैं। बैंक एसपिसियस ट्रांजेक्शन रिपोर्ट में रिजर्व बैंक को नील दिखाया गया है। एक साथ बड़ी रकम के लेन-देन पर रिजर्व बैंक का भी प्रतिबंध है। रिजर्व बैंक को बैंक कैश ट्रांजेक्शन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। हालांकि इसमें त्रुटि देखी जा रही है। हर दिन रिजर्व बैंक को सीटीआर व एसटीआर रिपोर्ट देने का नियम है। साल में एक बार एनुअल इंफॉरमेशन रिपोर्ट दाखिल करना चाहिए। आडिट होने पर सारी गड़बड़ी सामने आ सकती है। रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने 2017-18 व 2018-19 में आडिट की थी। एक अधिकारी को दो बार आडिट नहीं करना चाहिए। परंतु उसी अधिकारी से दो बार आडिट कराया गया। इसे लेकर बैंक भी संदेह के घेरे में है। आयकर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय के साथ अन्य संस्थाओं से भी जीएसटी की जांच कराई जा सकती है।


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