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डिजिटलाइजेशन प्रयास से आरएसपी को भारी बचत

स्टील मेल्टिग शॉप-2 (एसएमएस-2) विभाग की टीम के डिजिटाइजेशन प्रयास से राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) को भारी बचत करने में मदद मिली है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 09:16 AM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 09:16 AM (IST)
डिजिटलाइजेशन प्रयास से आरएसपी को भारी बचत
डिजिटलाइजेशन प्रयास से आरएसपी को भारी बचत

जागरण संवाददाता, राउरकेला : स्टील मेल्टिग शॉप-2 (एसएमएस-2) विभाग की टीम के डिजिटाइजेशन प्रयास से राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) को भारी बचत करने में मदद मिली है। उच्च तकनीकी कौशल का प्रदर्शन करने वाली उत्साही टीम ने एस.एम.एस.-2 के कास्टर-3 में 'लेजर आधारित स्लैब चौड़ाई माप प्रणाली' के माध्यम से स्लैब की चौड़ाई को ऑनलाइन विनियमित करने के लिए एक परियोजना लागू की। नया हस्तक्षेप, कास्टिग के बाद हॉट स्लैब की वास्तविक चौड़ाई को इंगित करता है और ऑपरेटर को स्लैब को अस्वीकृति होने से बचाने के लिए मोल्ड की चौड़ाई को समायोजित करने के लिए सुधारात्मक उपाय करने में मदद करता है। विशेष रूप से, यदि कास्टिग के बाद स्लैब की ठंडी होने के बाद चौड़ाई, ग्राहक द्वारा निर्दिष्ट चौड़ाई से 1 प्रतिशत से अधिक पाई जाती है, तो स्लैब को निरीक्षण के दौरान खारिज कर दिया जाता था । ढलाई के बाद ऑनलाइन स्लैब की चौड़ाई मापने के लिए कोई सुविधा नहीं थी स्लैब की चौड़ाई केवल स्लैब यार्ड में ही मापी जा सकती थी।

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टीम ने इस मुद्दे को हल करने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग करने की चुनौती ली। लेजर सेंसर की मदद से हॉट स्लैब की चौड़ाई ऑनलाइन निर्धारित करने की उन्नत सुविधा को स्थापित करने के लिए एक विस्तृत परियोजना विकसित की गई । तदनुसार आवश्यक संशोधन किए गए और आंतरिक संसाधनों और विशेषज्ञता के उपयोग से प्रणाली को तैयार किया गया। प्रक्रिया में शामिल पेचीदगियों की पूरी तरह से जांच की गई और उन्नत तकनीकी जानकारी के साथ, सिस्टम को प्रोग्राम लॉजिक कंट्रोल (पीएलसी) में एकीकृत किया गया। यह परिष्कृत प्रणाली, अंकन के समय मानव मशीन इंटरफेस (एचएमआइ) पर वास्तविक चौड़ाई को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाती है। हस्तक्षेप से ऑपरेटर को लक्षित हॉट स्लैब चौड़ाई पर विचलन को कम करने के लिए रैम स्क्रीन में लक्षित कोल्ड चौड़ाई बढ़ाने/घटाने के लिए उचित उपाय करने में मदद मिलती है। संशोधन ने कास्टर-3 के एच.एम.आई. में प्रत्येक हॉट स्लैब की वास्तविक चौड़ाई का प्रदर्शन सुनिश्चित किया है।

टीम में शामिल एसएमएस-2 (इलेक्ट्रिकल) के एसओएसटी भाग्यधर साहू, प्रभाकर पात्र, ब्रज किशोर बेहरा, राम चरण जेना, अशोक कुमार रथ और प्रशांत बडत्यो, प्रबंधक, असित कुमार त्रिपाठी, इंद्रमणि त्रिपाठी ने उप महा प्रबंधक, एसएमएस-2 (इलेक्ट्रिकल)ज्योति बसु मार्थम के मार्गदर्शन में परियोजना को लागू किया। उल्लेखनीय है कि 10 से 15 टन वजन वाले प्रत्येक स्टील स्लैब की कीमत 20 लाख से अधिक है। उद्यमशील प्रयास ने इस्पात संयंत्र को प्रति वर्ष लगभग 7.2 करोड़ रुपये का आवर्ती लाभ और 1 करोड़ रुपये अनावर्ती लाभ अर्जित करने में मदद की।


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