देवेंद्र बी कासर राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित
दक्षिण पूर्व रेलवे कोलकाता में तैनात आरपीएफ के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त देवेंद्र बी कासर को उत्कृष्ट सेवा के लिए इस साल स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति पुलिस पदक से नवाजा गया है।
जासं, राउरकेला : दक्षिण पूर्व रेलवे कोलकाता में तैनात आरपीएफ के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त देवेंद्र बी कासर को उत्कृष्ट सेवा के लिए इस साल स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति पुलिस पदक से नवाजा गया है। वर्ष 1990 में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद महज 22 वर्ष की उम्र में सहायक सुरक्षा कमांडेंट के तौर पर करियर शुरू करने वाले कासर 28 वर्षों की सेवा के दौरान, उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। अपराध, रणनीतिक योजना, रेलवे और यात्री सुरक्षा के लिए स्थायी प्रणाली में सुधार और कार्यान्वयन के लिए उन्हें जाना जाता है। उनके विशिष्ट करियर का भारतीय रेलवे भी मुरीद है। अब तक उन्हें जीएम अवार्ड (1998), डीजी इंसिग्निया (2001 और 2017), डीजी कमेंडेशन (2019), फिक्की का पुरस्कार (2019) और स्मार्ट-पुलिसिग के लिए भारतीय पुलिस पदक (2013) मिल चुका है।
पुलिसिंग व रणनीतिक संचालन में विशेषज्ञता हासिल : विभिन्न सुरक्षा खतरों क्रमश: महिलाओं और बच्चों की तस्करी, आतंकवादी हमलों, नक्सली गतिविधियों से निपटने के लिए पुलिसिग और रणनीतिक संचालन तैयार करने में उन्हें विशेषज्ञता हासिल है। उन्होंने 2008 में ऑपरेशन ईगल नामक अभिनव रणनीतियों का ऑपरेशन शुरू किया था। जिसमें अच्छी तरह से प्रशिक्षित बल कर्मियों को रणनीतिक रूप से हथियारों और बुलेट प्रूफ जैकेट के लगाया गया था। इसलिए जुलाई 2008 में दक्षिण मुंबई हुए 26/11 अटैक के समय पश्चिम रेलवे चट्टान की तरह खड़ा था। उनके प्रयासों को रेलवे बोर्ड, यात्रियों और मीडिया ने समान रूप से सराहा। फिर 2013 में, उन्होंने झारखंड और पश्चिम बंगाल के दो राज्यों से सटे वन पटरियों में नक्सली गतिविधियों की जानकारी और खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए ऑपरेशन रिवर फ्लो शुरू किया। कम्युनिटी पुलिसिग द्वारा हजारों स्थानीय लोगों से जानकारी एकत्रित की गई और इस तरह नक्सली गतिविधियों की आवाजाही हुई, जिसका इस्तेमाल आईबी ने भी किया था। इसके लिए उन्हें भारतीय पुलिस पदक (2013) से सम्मानित किया गया।
ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते, 2300 बच्चों को खोज निकाला : वर्ष 2017 में, उन्होंने ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते को लांच किया, जोकि पहले चाइल्ड ट्रैफिकिग के लिए समर्पित ऑपरेशन है। उन्होंने इस ऑपरेशन को तीन राज्यों कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में लांच किया। जिसमें आरपीएफ टीमों का गठन कर्मचारियों को प्रेरित करने और उन्हें सचेत करने के लिए किया गया था। इसके तहत, 2300 तस्करी, अपहरण, खोए और भागे हुए बच्चों को ट्रैक किया गया। इस ऑपरेशन को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर एंड कॉमर्स (एफआइसीसीआइ) द्वारा स्मार्ट पुलिसिग अवार्ड से सम्मानित किया गया और वर्ष 2017 में दूसरी बार उनकी सेवा के दौरान उन्हें डीजी के प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया।