प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति में फिर देरी, एसटी/एससी हास्टल चलाने के लिए संघर्ष
जागरण संवाददाता,राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले के सरकारी स्कूलों में करीब 49,000 छात्रों की प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति जारी होने में देरी के कारण अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति के छात्रावासों को चलाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। मासिक छात्रवृत्ति राशि का उपयोग दाल, सब्जियां, मांसाहारी वस्तुओं, खाद्य तेल, मसाले और ईंधन लागत सहित छात्रावासों के मेस खर्च को पूरा करने के लिए किया जाता है। छात्रावास चलाने की मजबूरी में इन विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व प्रधानाध्यापिका बाद में प्रतिपूर्ति की आशा से खर्च को पूरा करने के लिए उधार व निजी खर्च का सहारा ले रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि स्कूलों को अभी तक अप्रैल महीने के लिए कक्षा एक से दसवीं तक के लगभग 49,000 एसटी और एससी छात्रावास के छात्रों की छात्रवृत्ति राशि प्राप्त नहीं हुई है।
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स्कूल अधिकारियों पर बढ़ने लगा वित्तीय बोझ
अब मई के दूसरे सप्ताह में, स्कूल अधिकारियों को बढ़ते वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ रहा है। नाम न छापने का अनुरोध करते हुए, कुछ प्रधानाध्यापकों ने कहा कि वे भारी दबाव में हैं क्योंकि खाद्य पदार्थों के आपूर्तिकर्ता अप्रैल का बकाया चुकाने पर जोर दे रहे हैं। कुछ आपूर्तिकर्ता आपूर्ति बंद करने की धमकी भी दे रहे हैं। राज्य सरकार प्रत्येक अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति की छात्रा को प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के रूप में प्रति माह 800 रुपये प्रदान करती है। जबकि लड़कों के लिए यह राशि 750 रुपये है। जिले में लगभग 49,000 एसटी / एससी विद्यार्थी हैं, जिनमें से लगभग 7,000 ने मैट्रिक की परीक्षा पूरी होने पर 7 मई के बाद छात्रावास छोड़ दिया है।
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कई स्कूलों में शून्य अव्ययित छात्रवृति निधि
उधर विभाग ने विकल्प स्वरूप स्कूल अधिकारियों को उपलब्ध अव्ययित छात्रवृत्ति जमा का उपयोग करने की सलाह दी गई है। जबकि सूत्रों का कहना है कि कई स्कूलों में शून्य अव्ययित छात्रवृत्ति निधि है, जबकि अन्य के पास उपार्जित मेस व्यय का प्रबंधन करने के लिए बहुत कम राशि है। इस बीच, नौवीं और दसवीं कक्षा के लगभग 34,000 एसटी / एससी छात्रों को भी तकनीकी कारणों से अपनी पढ़ाई में सहयोग के लिए एक और प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति नहीं मिली है। छात्रवृत्ति 2,250 रुपये से 7,250 रुपये तक एकमुश्त भुगतान के रूप में जारी की जाती है।
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कोट
छात्रावासों को सितंबर तक चावल का कोटा प्रदान किया गया है और स्कूल अधिकारियों को उपलब्ध अव्ययित छात्रवृत्ति जमा का उपयोग करने की सलाह दी गई है। प्रधान ने उम्मीद जताई कि सरकार जल्द ही बकाया स्कॉलरशिप फंड जारी करेगी।
पवित्र मोहन प्रधान, जिला कल्याण अधिकारी