राष्ट्रीय न्यास संस्था को भंग करने की योजना का विरोध
सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण विभाग के द्वारा राष्ट्रीय न्यास को बंद करने की योजना बनाई गई है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण विभाग के द्वारा राष्ट्रीय न्यास को बंद करने की योजना बनाई गई है। ओडिशा परिवार संघ ने इसका विरोध करते हुए पुनर्विचार की मांग की है। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय न्यास संस्था का गठन मानसिक, मस्तिष्क पक्षाघात, ऑटिज्म एवं अन्य बाधित दिव्यांगों के लिए विशेष रूप से उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए 1999 में किया गया था। इसमें आश्रय स्थल, सुरक्षा, सामाजिक अधिकार, स्वास्थ्य सेवा, प्रशिक्षण एवं पुनर्वास का दायित्व प्रदान करने के लिए कानून बनाया गया था। इसमें चार प्रकार के दिव्यांगों को लाभ मिलता था। भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय को इस न्यास संस्था को बंद करने का प्रस्ताव दिया गया है। भारत सरकार की 1995 की अधिसूचना में सात प्रकार के दिव्यांगों की पहचान कर उन्हें समान अधिकार एवं सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया था। बाद में बौद्धिक व मानसिक बाधित दिव्यांगों के लिए 1999 में विशेष दायित्व के लिए राष्ट्रीय न्यास का गठन किया गया था। राष्ट्रीय अभिभावक महासंघ के बार बार मांग के बाद ही यह संभव हो पाया था। मानसिक दिव्यांग जो बिना किसी सहायता से कुछ नहीं कर सकते हैं उनके बालिग होने के बाद लोकल लेवल कमेटी के जरिए उनके माता पिता या अभिभावक को प्रमाणपत्र दिया जाता था। इसके अलावा स्वावलंबी बनाने के लिए प्रशिक्षण, विशेष स्वास्थ्य बीमा, पुनर्वास के लिए प्रशिक्षण आदि योजना शामिल थी। 2016 में दिव्यांगों के लिए कानून लागू किया गया। इसमें राष्ट्रीय न्यास के अधीन 21 प्रकार के दिव्यांगों की पहचान कर शामिल किया गया। ओडिशा परिवार अभिभावक संघ की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर दिव्यांगों की सुरक्षा के लिए न्यास को बंद न करने का अनुरोध किया है।