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आजादी के 75 साल बाद भी सुलभ नहीं चिकित्सा सुविधा

आर्थिक नियोजन के कार्यान्वयन के बाद आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले में स्वतंत्रता के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत प्रगति हुई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 09:36 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 09:36 PM (IST)
आजादी के 75 साल बाद भी सुलभ नहीं चिकित्सा सुविधा
आजादी के 75 साल बाद भी सुलभ नहीं चिकित्सा सुविधा

जागरण संवाददाता, राउरकेला : आर्थिक नियोजन के कार्यान्वयन के बाद आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले में स्वतंत्रता के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत प्रगति हुई है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के रूप में बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया गया है। अस्पतालों और औषधालयों की संख्या में 10 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। पैरा मेडिकल स्टाफ की संख्या कई गुना बढ़ गई है। 1950-51 में जहां गिने चुने स्वास्थ्य केंद्र थे। इनमें सुंदरगढ़ सदर अस्पताल तथा राउरकेला सरकारी अस्पताल जैसे बड़े सरकारी अस्पताल हैं। वहीं, राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना के बाद से ही इस्पात जनरल अस्पताल की स्थापना हुई है। जहां पर केवल आरएसपी कर्मी व परिवार के लोगों का ही नहीं बल्कि बाहर से आए मरीजों का भी इलाज हो रहा है। जिले में 30 से अधिक बड़े निजी अस्पताल खुले हैं। जहां आपातकालीन चिकित्सा हो सकती है। अब भी सुपर स्पेशलियटी अस्पताल की जरूरत है जो पूरी नहीं हुई है। जिले में 390 उप स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। दूर दराज के गांवों के लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए बाइक एंबुलेंस की सुविधा शुरू की गई है। गर्भवती माताओं के लिए मां गृह स्थापित किया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए बच्चों का पोषण एवं टीकाकरण चल रहा है। आइजीएच सुपर स्पेशलियटी अस्पताल : राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना के बाद 1959 में 600 बेड वाले इस्पात जनरल अस्पताल (आइजीएच) की स्थापना की गई थी। यहां सभी प्रकार के गंभीर एवं सामान्य रोग का इलाज होता है। यहां राउरकेला इस्पात संयंत्र व सेल कर्मी व परिवार ही नहीं बल्कि अन्य लोगों का भी इलाज हो रहा है। पश्चिम ओडिशा ही नहीं बल्कि झारखंड व छत्तीसगढ़ के पड़ोसी जिलों के गंभीर मरीजों का इलाज हो रहा है। यहां सुपर स्पेशलियटी चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए 294.82 करोड़ की लागत से निर्मित 200 बेड वाले सुपर स्पेशलियटी अस्पताल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। 21 मार्च 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हाथों इसका लोकार्पण किया है। आइजीएच के चिकित्सक के द्वारा वर्तमान में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। राउरकेला तथा आसपास के करीब 35 लाख लोगों को सुपर स्पेशलियटी सुविधा मिलेगी। आइजीएच सुपर स्पेशलियटी अस्पताल में स्नायु जनित रोग (न्यूरोलॉजी), स्नायु संबंधित सर्जरी (न्यूरो सर्जरी), यकृत रोग (नेफ्रोलॉजी), हृदय रोग (कार्डियोलॉजी), हृदय रोग सर्जरी (कार्डियो थेरोसिस सर्जरी) की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा इंडोस्कॉपी, थ्री टेसला, एमआइआर, सीटी स्क्रैन, लैप सीआरआरटी मशीन समेत पांच अत्याधुनिक आपरेशन थिएटर होंगे। यहां मेडिकल की पढ़ाई भी होगी। आरजीएच को कैपिटल अस्पताल की मान्यता : राउरकेला सरकारी अस्पातल को जिला स्तरीय अस्पताल की मान्यता देने के साथ ही कैपिटल अस्पताल, भुवनेश्वर का रूप देने की घोषणा की गई थी पर अब तक यहां विकास का काम चल रहा है। 276 बेड वाले अस्पताल में 500 से अधिक रोगियों का इलाज चल रहा है जिससे कई तरह की अव्यवस्था उत्पन्न हो रही है। इस अस्पताल पर सुंदरगढ़ जिला ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ एवं आसपास के रोगी भी निर्भर हैं। यहां पीपी मोड पर सीटी स्कैन, डायलिसिस की सुविधा है। हर वार्ड में जितने बेड हैं उससे अधिक संख्या में मरीज यहां इलाज के लिए आ रहे हैं। इस अस्पताल में 55 में से 17 चिकित्सकों को जिला खनिज कोष से वेतन दिया जा रहा है। अस्पातल में लैब की सभी सुविधा नहीं होने के कारण महत्वपूर्ण जांच के लिए नमूना भुवनेश्वर भेजना पड़ता था। इस समस्या को दूर करने के लिए यहां सेंट्रल पैथो लैब का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें दो करोड़ की लागत आएगी। एनएसपीसीएल की ओर से सीएसआर कोष से 92.47 लाख रुपये दिए गए हैं। यहां डेंगू, थाइराइड, हेमोग्लोबिन, डी.टाइमर जैसे 99 प्रकार की जांच होगी। एनटीपीसी मेडिकल कालेज : सुंदरगढ़ में चार सौ बेड वाले एनटीपीसी मेडिकल कालेज की स्थापना की योजना है। यहां एम्स की स्थापना के लिए लंबे समय से प्रयास किया जा रहा है। राज्य में दूसरे एम्स के लिए केंद्रीय टीम ने भी दौरा कर स्थिति की समीक्षा की थी। इसके बाद सरकार की ओर से इसे राज्य सरकार के अधीन मेडिकल कालेज बनाने की घोषणा की गई तथा 2022-23 से नामांकन शुरू करने की बात कही गई थी। 6 सितंबर 2021 को स्वस्थ्य मंत्री नव किशोर दास ने सुंदरगढ़ मेडिकल कालेज में भी इसकी घोषणा की थी। एनटीपीसी एवं राज्य सरकार के साथ हुए समझौते के अनुसार अपने खर्च पर एमबीबीएस की सौ सीट पर नामांकन के साथ पांच सौ बेड वाले अस्पताल का संचालन करना था। इसके लिए 271 कर्मचारियों की नियुक्ति होना था एवं 26 सितंबर तक नामांकन के लिए आवेदन करना था। आने वाले सत्र में यहां नामांकन होने के साथ ही पढ़ाई के अलावा मरीजों का इलाज भी होने की उम्मीद है। वर्तमान में यह अस्पताल कोविड अस्पताल के रूप में चल रहा है। हाइटेक मेडिकल कालेज अस्पताल: राज्य सरकार की ओर से राउरकेला में हाइटेक मेडिकल कालेज की स्थापना के लिए जमीन एवं आर्थिक सहायता मुहैया करायी गई है। आरजीएच परिसर में 20 एकड़ क्षेत्र में 2009 में इसकी स्थापना की गई है। यहां मरीजों का इलाज होने के साथ ही मेडिकल की पढ़ाई भी संबलपुर विश्वविद्यालय के अधीन हो रही है। 100 अंडर ग्रेजुएट विद्यार्थियों में आल इंडिया मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफल 85 एवं 15 निजी तौर पर नामांकन करा रहे हैं। नौ बाइक एंबुलेंस की सुविधा : सुंदरगढ़ जिले के राजगांगपुर, गुरुंडिया व कोइड़ा ब्लॉक के दूर दराज के गांवों के लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए नौ बाइक एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है जो आपातकालीन चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने में मददगार साबित हो रहा है। इनके जरिए मरीजों को निकट के सीएचसी व पीएचसी में पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। आंगनबाड़ी कर्मी, आशा कर्मी, सरपंच, स्वास्थ्य कर्मी व चिकित्सा प्रभारी से संपर्क कर इन्हें बुलाया जा सकता है। आपसी तालमेल के कारण यह कारगर साबित हो रहा है। मां गृह निभा रहा है जच्चा-बच्चा की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका : सुंदरगढ़ जैसे आदिवासी बहुल जिले में मां गृह जच्चा-बच्चा की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सुदूर क्षेत्रों के लोगों सहित विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं के लक्षणों वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसव से कुछ दिन पहले मां गृह में रखा जाता है। यहां उनकी स्वास्थ्य जांच के साथ-साथ पौष्टिक भोजन और गर्भावस्था दौरान क्या करना है, इसकी सलाह दी जाती है। सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के लिए समय पर निकटतम अस्पताल में पहुंचाया जा सकता है। जिले के लेफ्रीपाड़ा, लहुनीपाड़ा, गुरुंडिया, कोइडा और राजगांगपुर ब्लॉक के दूरदराज के इलाकों में पांच मदर हाउस संचालित हो रहे हैं। बाद में, लेफ्रिपाड़ा, गुरुंडिया, लहुनीपाड़ा और कोइडा में जिला खनिज संस्थान के वित्तीय सहायता से और चार आठ-बेड के मां गृह की स्थापना की गई है। हेमगिर ब्लॉक के डूडूका, टांगरपल्ली के तलसडीह, सबडेगा के टांगर गांव, बडग़ांव के एकमा, कुतरा के खतकुरबहाल, लाठीकटा के रामजोड़ी, बणेईगढ़ के टिकायतपल्ली और बिसरा में नौ और मां गृह बनाए जा रहे हैं। जिला खनिज निधि से इसके लिए वित्तीय सहायता प्रदान किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुंदरगढ़ जिले के 180 गांवों की पहचान सुदूर क्षेत्रों के रूप में की गई है। प्रशासन द्वारा इन सभी क्षेत्रों में मां गृह की स्थापना करके मातृ और शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। जिले में मातृ ज्योति कार्यक्रम : सुंदरगढ़ जिले में मां एवं शिशु विकास के लिए मातृ ज्योति कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें जिले के अनुबंधित सात सरकारी एवं 45 निजी अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को चिकित्सा परामर्श देने के साथ ही अल्ट्रा साउंड एवं अन्य सुविधा दी जा रही है। जिला प्रशासन की ओर से 11 अक्टूबर 2020 को मातृ ज्योति कार्यक्रम शुरू किया गया था। गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के संबंध में जानने के लिए पहले माताओं को बड़े अस्पतालों में अल्ट्रा साउंड के लिए जाना पड़ता था जिसमें अधिक पैसे खर्च होते थे। गरीबी के कारण बड़ी संख्या में महिलाएं जांच नहीं करा पा रही थी। जिले में अब मातृज्योति कार्यक्रम शुरू होने से सुविधा मिल रही है एवं यह प्रभावी भी हो रहा है। इस कार्यक्रम में आंगनबाड़ी व आशा कर्मियों की अहम भूमिका रही है। उनके द्वारा जांच कराने के साथ ही गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार देने की व्यवस्था भी की जा रही है।

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