डॉक्टर बनना चाहता है शहर टॉपर प्रीतम
जागरण संवाददाता, राउरकेला : ओडिशा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में 94.64 फीसद अंक लेकर उत्तीर्ण
जागरण संवाददाता, राउरकेला : ओडिशा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में 94.64 फीसद अंक लेकर उत्तीर्ण सरस्वती शिशु विद्यामंदिर सेक्टर-6 का छात्र प्रीतम प्रसाद बल की चाहत भविष्य में मेडिकल की पढ़ाई कर अच्छा चिकित्सक बनने की है। फिलहाल वह आकाश इंस्टीट्यूट की मेधा परीक्षा में सफलता पाने के बाद अद्यंत कॉलेज भुवनेश्वर में को¨चग ले रहा है।
कांसबहाल सरकारी यूपी स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक भगवान प्रसाद बल व गृहिणी बनीता बल का कनिष्ठ पुत्र प्रीतम बचपन से ही मेधावी एवं प्रतिभाशाली है। स्कूल में अच्छा परिणाम होने के कारण हमेशा ही स्कूल के शिक्षकों का प्रोत्साहन मिलता रहा है। उनके मार्ग दर्शन पर दिन-रात मेहनत करता था एवं इसमें माता बनीता को सभी प्रकार की सहायता मिल रही थी। परीक्षा के समय तो सोने और जागने का कोई समय ही नहीं था। स्कूल के शिक्षक श्याम सुंदर सेठी खुद उनके घर आकर पढ़ाई कराते थे एवं अच्छे परिणाम के लिए मार्ग दर्शन देते थे। इस वर्ष आकाश इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित प्रतिभा परीक्षा में ओडिशा में टॉपर होने के बाद उसका चयन अद्यंत कॉलेज में हुआ है। वहां को¨चग लेने के साथ-साथ इंटर की पढ़ाई करेगा। पिता भगवान प्रसाद बल ने बताया कि माता पिता लाड़ला आज्ञाकारी भी है एवं उनके बाहर रहने पर माता ही उसकी देखभाल करती थी। इस सफलता में स्कूल के शिक्षकों का भी बड़ा अवदान रहा है।
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नीट पास कर डाक्टर बनना चाहता है मनदीप : सरस्वती शिशु विद्यामंदिर सेक्टर-6 का छात्र मनदीप ओझा इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में 92.88 फीसद अंक के साथ शहर में दूसरे स्थान पर रहे। राउरकेला सरकारी स्वयंशासित कॉलेज में गणित, भौतिक, रसायन व जीव विज्ञान के साथ इंटर की पढ़ाई करने के बाद सीबीएससी की नीट परीक्षा उत्तीर्ण करना तथा मेडिकल की पढ़ाई करना लक्ष्य है। पिता शिव प्रसाद ओझा रेलवे में गार्ड हैं वहीं माता मंजूलता ओझा गृहिणी हैं। पिता के हमेशा बाहर रहने के कारण माता मंजूलता ही उनका मार्गदर्शन करती थी। दोस्तों के साथ मिलकर पढ़ना मनदीप को अच्छा लगता है। इस परीक्षा में एफएल में 89, अंग्रेजी में 92, संस्कृत में 99, गणित में 97, विज्ञान में 91, सामाजिक विज्ञान में 89 अंक मिले हैं। उन्हें सामाजिक विज्ञान उम्मीद अनुसार अंक नहीं मिले हैं। वे इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता और गुरुजनों को देना चाहते हैं। स्कूल में पढ़ाई के साथ साथ अतिरिक्त कक्षा भी ली जाती थी जिससे सभी प्रकार का संदेह दूर किया जाता था। इसके अलावा गणित, विज्ञान व संस्कृत का ट्यूशन उसने लिया था।