खतरनाक स्थिति में चल रहे 32 आंगनबाड़ी केंद्र
गर्भ अवस्था प्रसव अवस्था तथा बच्चों को सुविधा का अवसर देने को लेकर आंगनबाड़ी के माध्यम से समेकित बाल विकास सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : गर्भ अवस्था, प्रसव अवस्था तथा बच्चों को सुविधा का अवसर देने को लेकर आंगनबाड़ी के माध्यम से समेकित बाल विकास सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। इन आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को प्री-स्कूल शिक्षण की भी व्यवस्था है। आदिवासी बहुल लेफ्रिपाड़ा प्रखंड में प्रशासनिक लापरवाही के कारण इस योजना का लाभ लाभूकों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
लेफ्रिपाड़ा प्रखंड के 17 पंचायतों में कुल 213 आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे है। जिसमें से 34 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र है। इन सभी केंद्रों में 2,758 बच्चे पंजीकृत है। जिन्हें सभी तरह की सरकारी सुविधा उपलब्ध कराने की सूचना विभाग द्वारा दी गई है। वर्तमान में 32 आंगनबाड़ी ऐसे है, जो खतरनाक स्थिति मे ंहै। जबकि 34 आंगनबाड़ी केंद्र भाड़े के घर में चल रहे है। कई आंगनबाड़ी कर्मी अपने घरों में केंद्र खोलकर चला रहे है। यह सभी केंद्र मनमर्जी तरीके से चलने के आरोप सामने आ रहे हैं। इस कारण बच्चों की देखभाल में परेशानी होने के साथ-साथ इस तरह की स्थिति के कारण बचपन की शिक्षा के लिए अनुकूल माहौल की कमी देखी जा रही है। पेशा नियम की पांचवीं अनुसूची के अनुसार आदिवासी अंचल में स्थित आदिवासी पाड़ा को भी गांव की मान्यता मिलनी है। इस पाड़ा में रहने वाले मिनी आंगनबाड़ी को मुख्य आंगनबाड़ी केंद्र में तब्दील कर उपलब्ध छह सेवाओं को लागू करना है। इसके लिए प्रशासन को ध्यान देना है। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के करण यह सभी केंद्र केवल भोजन केंद्र बनकर रह गए है। इसे लेकर बुद्धिजीवियों में रोष देखा जा रहा है। कई बार निर्देश दिए जाने के बाद भी अब तक इन केंद्रों को बदला नहीं जा सका है।