खुदीराम बोस से प्रेरणा लें युवा : शतपथी
वेदव्यास स्थित गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय में मंगलवार को महान स्वाधीनता सेनानी खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि दी गयी। मुख्य अतिथि कालेज के प्रिसिपल डा. परमेश्वर शतपथी ने कहा कि खुदीराम बोस ने केवल 19 साल की उम्र में देश के लिए कर दिखाया था वह बड़े बड़ों के लिए करना संभव नहीं थी। जब उन्हें फांसी की सजा सुनायी गयी तो वे हंस रहे थे। आज के युवाओं को उनसे प्रेरणा लेकर देश के लिए कुछ करने की जरूरत है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : वेदव्यास स्थित गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय में मंगलवार को महान स्वाधीनता सेनानी खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि दी गयी। कॉलेज के प्रिसिपल डा. परमेश्वर शतपथी ने कहा कि खुदीराम बोस ने केवल 19 साल की उम्र में देश के लिए कर दिखाया था वह बड़े बड़ों के लिए करना संभव नहीं था। जब उन्हें फांसी की सजा सुनायी गयी तो वे हंस रहे थे। आज के युवाओं को उनसे प्रेरणा लेकर देश के लिए कुछ करने की जरूरत है।
संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता व शहीद स्मृति कमेटी के प्रमुख रमेश चंद्र जेना ने कहा कि खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में हुआ था। बोस जब बहुत छोटे थे तभी उनके माता-पिता का निधन हो गया था। उनकी बड़ी बहन ने ही उनको पाला था। क्रांतिकारी खुदीराम बोस ने किग्स फोर्ड पर बम फेंक कर सभी को चौंका दिया था। जब उन्हें फांसी दी गयी तक उनकी उम्र केवल 19 साल की थी। 11 अगस्त 1908 हिदुस्तान की आजादी की खातिर फांसी को गले लगा लिया था। भारत की आजादी के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले इस महान सपूत को हमेशा याद किया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम में हरियाणा से आए विद्वान कैलास चंद्र ने आनापान युगल के जरिए स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को विभिन्न तरीके बताए। राष्ट्रीय सेवा योजना के अधिकारी काली किकर पंडा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।