सुंदरगढ़ जिले में 21 साल में 441 की मलेरिया से मौत
सुंदरगढ़ जिले में मलेरिया में भारी गिरावट आई है। यह पिछले दो वर्षों यानी 2020 और 2021 (अक्टूबर तक) में कुल मामलों को देखने से स्पष्ट है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले में मलेरिया में भारी गिरावट आई है। यह पिछले दो वर्षों यानी 2020 और 2021 (अक्टूबर तक) में कुल मामलों को देखने से स्पष्ट है। 2020 में लक्षणों वाले कुल 24,283 लोगों में मलेरिया का जांच किया गया इसमें 1746 (4.83प्रतिशत) में मलेरिया पाया गया एवं इसका किया गया। अक्टूबर 2021 तक, कुल 30,472 लोगों का परीक्षण किया गया था 689 मलेरिया संक्रमित पाये गए इनमें से कुल 4 (0.22प्रतिशत) की मौत हुई। संक्रमण की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। पिछले साल किसी भी पीड़ित की मौत नहीं हुई, लेकिन इस साल चार की मौत हो गई। हालांकि, पिछले 21 वर्षों में मलेरिया संक्रमण और संबंधित मौतों में वृद्धि देखी गई थी अब स्थिति काफी नियंत्रण में है।
21 वर्षों में साढ़े छह लाख लोगों की जांच : एक जमाने में आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिला मलेरिया के लिए कुख्यात था। खासकर 2000 से 2010 तक, स्थिति गंभीर थी। लेकिन अब स्थिति में नाटकीय रूप से सुधार हुआ है। पिछले 21 वर्षों में 2000 से अक्टूबर 2021 तक जिले में 84,66,204 लोगों द्वारा मलेरिया परीक्षण किया गया। टेस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से कुल 6,35,675 लोग मलेरिया से संक्रमित थे। वर्ष 2000 में यह संख्या अधिक थी। उस वर्ष मलेरिया के लिए कुल 5,25,456 लोगों का परीक्षण किया गया था, जबकि 81,938 (15.56प्रतिशत) संक्रमित थे। 2021 की तुलना में, परीक्षण किए गए रोगियों की संख्या और संक्रमित लोगों की संख्या अलग-अलग थी।
मलेरिया से 41 की मौत : हाल ही में मलेरिया से मरने वालों की संख्या में भी नाटकीय रूप से गिरावट आई है। लेकिन फिर भी अब भी कुछ लोगों की मौत हो रही है। 2000 से 2121 तक, 2020 में मलेरिया से किसी की मौत नहीं हुई पर 2001 में 4 लोगों की मौत हुई है। लेकिन अन्य सभी वर्षों में जिले में मलेरिया से होने वाली मौतों की सूचना मिली है। पिछले 21 वर्षों में जिले में मलेरिया से कुल 441 लोगों की मौत हुई है। 2002 में जिले में सबसे ज्यादा मौत का आंकड़ा 95 था। दूसरी सबसे बड़ी संख्या 2000 में 62 थी और 2003 में तीसरी सबसे बड़ी 39 मौतों के साथ थी। 2000 से 2015 तक, जिले में मलेरिया से होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी या उससे अधिक थी। लेकिन 2016 से इसे 1 अंक तक सीमित कर दिया गया है।
लहुणीपाड़ा अंचल में सबसे अधिक मलेरिया मरीज : जिले के अन्य ब्लॉक तथा नगरपालिका की तुलना में लहुणीपाड़ा अंचल में मलेरिया मरीजों की संख्या अधिक है। इस वर्ष अक्टूबर महीने तक कुल 689 मलेरिया की जांच की गई जिसमें 385 लोग मलेरिया से संक्रमित पाये गए। लहुणीपाड़ा सामुदायिक अस्पातल के बाद कोइड़ा में दूसरा सबसे अधिक मलेरिया जांच हुआ। इस क्षेत्र में 120 मलेरिया रोगी मिले। बड़गांव में छह, बीरकेरा में 38, बिसरा में 33, गुरुंडिया में 12, हाथीबारी में 19, हेमगिर में 24, किजिरकेला में 11, कुआरमुंडा में छह, कुतरा में एक, लाइंग में 15, मझापाड़ा में 19, मंगसपुर में दो, सर्गीपाली में 14, एस बलांग में नौ, सबडेगा में दो, बणई में एक, राउरकेला मे 13 मरीजों की पहचान हुई। बीरमित्रपुर, राजगांगपुर, सुंदगरढ़ में मलेरिया रोगी नहीं मिले।
मलेरिया नियंत्रण के लिए कार्यक्रम : जिले में मलेरिया नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। दुर्गम क्षेत्रों में कैंप लगाकर कीट नाशक का छिड़काव, शिविर लगाकर लक्षण व बिना लक्षण वाले रोगियों की पहचान एवं मुफ्त में दवा देने, हर साल दो बार कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जा रहा है। इस साल 16 अप्रैल एवं 11 अक्टूबर को किया गया। औषधि युक्त मच्छरदानी का वितरण करना। अब तक जिले में 13,64,773 मच्छरदानी बांटी गई है। इसमें से 2,03,450 सिगल, 8,88,423 डबल, 2,71,850 फैमिली पैकेज साइज मच्छरदानी शामिल हैं। गांवों में मच्छर अंडा खाने वाली मछलियां भी छोड़ी गई।
21 साल में जिले में मलेरिया संक्रमण व मौत
वर्ष कुल संक्रमित मृत्यु
2000 81838 61
2001 68746 33
2002 65585 95
2003 59682 39
2004 47496 17
2005 39313 14
2006 28919 12
2007 23140 12
2008 22770 22
2009 20796 12
2010 16084 39
2011 13048 22
2012 16304 14
2013 18155 10
2014 28075 10
2015 27518 10
2016 30508 08
2017 19090 01
2018 4405 01
2019 1768 04
2020 1746 00
2021 689 04
कुल 6,35,675 441