कच्छप गति से चल रहा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का काम
राउरकेला इस्पात संयंत्र अधीनस्थ इस्पात जनरल अस्पताल (आइजीएच) को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले आम चुनाव से पहले एवं चुनाव जीतने के बाद भी इस संबंध में घोषणा की थी। इसका काम बिलंब से शुरु हुआ और अब भी धीमी गति से चल रहा है। राष्ट्रीय भवन निर्माता कंपनी एनबीसीसी को इसका दायित्व दिया है। 294.
महेंद्र महतो, राउरकेला :
राउरकेला इस्पात संयंत्र अधीनस्थ इस्पात जनरल अस्पताल (आइजीएच) को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले आम चुनाव से पहले एवं चुनाव जीतने के बाद भी इस संबंध में घोषणा की थी। इसका काम बिलंब से शुरू हुआ और अब भी धीमी गति से चल रहा है। राष्ट्रीय भवन निर्माता कंपनी एनबीसीसी को इसका दायित्व दिया है। 294.82 करोड़ की योजना को 2020 के मध्य तक इसे पूरा करना है। लेकिन निर्माण कार्य की गति देकर नहीं लगता कि निर्धारित अवधि के भीतर इसका कार्य पूरा भी हो पाएगा।
राउरकेला इस्पात संयंत्र एवं आसपास के लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए सेल आरएसपी की ओर से 1954 में 600 बेड वाले अस्पताल की स्थापना की गयी थी। यहां 13 हजार आरएसपी कर्मचारी एवं 25 हजार से अधिक पूर्व कर्मचारियों समेत को चिकित्सा सुविधा मिलती है। यहां सिटी स्कैन, एमआआइ, एक्स-से समेत विभिन्न अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध हैं। यही कारण है कि इस्पात जनरल अस्पताल केवल पश्चिम ओडिशा ही नहीं बल्कि झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिलों के लिए जीवन रेखा माना जाता है। सुपर स्पेशलिटी चिकित्सा सुविधा के अभाव में गंभीर मरीजों को हैदराबाद, भुवनेश्वर, मुंबई, बेंगलुरु, वेल्लोर आदि शहरों के बड़े अस्पतालों में भेजना पड़ता है। यहां सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की जरूरत हो देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अप्रैल 2015 को राउरकेला के हवाई पट्टी मैदान में जनसभा में इस्पात जनरल अस्पताल को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल व मेडिकल कॉलेज का रूप देने की घोषणा की थी। इस अस्पताल में न्यूरोलॉजी, न्यूरो-सर्जरी, कार्डियोलॉजी, कार्डियो सर्जरी, नेफ्रोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी आदि विभागों में छह सुपर स्पेशलिटी सुविधा स्थापित करने की योजना है।
यहां अब तक केवल बर्न और प्लास्टिक सुपर स्पेशियलिटी सर्जरी यूनिट का ही निर्माण कार्य शुरू हो पाया है। भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय व सेल की मदद से अस्पताल के निर्माण के लिए केंद्रीय पीएसयू एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर भी हुआ है। आल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस, एम्स भुवनेश्वर की निगरानी में 294.82 करोड़ की लागत से बनने वाले इस 156 बेड वाले अस्पताल का निर्माण कार्य 2020 के मध्य में पूरा करना था पर अब तक इसमें खास प्रगति नजर नहीं हा रही है।
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सुविधा मिलने से गंभीर मरीजों को भुवनेश्वर एवं अन्य शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती। कम खर्च में सुपर स्पेशलिटी इलाज संभव हो पाती। इस अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी चिकित्सकों की नियुक्ति करने के साथ साथ यहां के चिकित्सकों को भी उस स्तर का प्रशिक्षण देने की जरूरत है। राउरकेला ही नहीं बल्कि झारखंड, पश्चिम ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ वासियों को शीघ्र यह सुविधा दिलाने के लिए राज्य व केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए।
- डा. आरबी महापात्र, पूर्व सहायक निदेशक, आइजीएच।