राहुल अग्रवाल के सुसाइड नोट में खुलासा, ससुराल वाले बच्चों से बात करने देते तो नहीं करता आत्महत्या
जासं, राउरकेला : अपी गृहस्थी को बचाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे राउरकेला के युवा व्यापारी राहुल अग्रवाल की मार्मिक कहानी का अंत उनके मरने के भले ही गया हो लेकिन जीना चाहता था। अपने दो मासूम बच्चों के लिए वह जीना चाहता था। बच्चे अपनी मां के साथ ससुराल में रहते हैं। मरने से पूर्व वायरल वीडियो में राहुल का अपने बच्चों के प्रति दर्द देखने को मिला था। अब जब उसका सुसाइड नोट खुल चुका है तो उसमें भी बच्चों को प्रति प्यार दिख रहा है। सुसाइड नोट में उसने यह जोर देकर कहा कि यदि सुसरालवाले अपने बच्चों से बात करने देते तो वह आत्महत्या नहीं करता। राहुल के चाचा विनोद अग्रवाल ने राहुल के सुसाइड नोट के कुछ अंश का खुलासा करते हुए यह जानकारी दी है।
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बच्चों के लिए ससुराल वालों के एग्रीमेंट पर भी किया था साइन
राहुल ने सुसाइड नोट में यह भी उल्लेख है कि सगाई के समय से ही सगाई रिंग, लहंगे को लेकर सास ने विवाद शुरू कर दिया था। बाद में विवाद के चलते परिवार टूट गया। ससुराल वाले उसकी बेटी वेदिका को कानूनी तौर पर अपनी कस्टड़ी में लेना चाहते थे। वह उनके लिए शुभ थी। वहां जाने पर ससुराल वाले उसे नहीं छोड़ते थे। किसी तरह मनाकर अपने बच्चों को वापस घर लाता था। अपने बच्चों के खातिर उसने ससुरालवालों के एक बेजा एग्रीमेंट पर भी साइन किया था। जिसमें उसकी पत्नी ने मासिक खर्च के लिए 50 हजार रुपये देने, सुसाइड न करने आदि कई शर्तें मनवाई थी।
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छोटे भाई अंकित को दिया बेटा व बेटी की कस्टडी
सुसाइड नोट में राहुल ने अपने बेटे व बेटी की कस्टडी अपने छोटे भाई अंकित को दी है। साथ ही उसने अपनी सारी प्रॉपर्टी भी उसके नाम कर दी है। राहुल द्वारा लिखे गए 13 पेज के सुसाइड नोट में कई और भी बातों का उल्लेख है, जो कि उसके ससुराल वालों को कानून की गिरफ्त में पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण है। जिसके कारण परिवारवाले अधिवक्ता के सुझाव पर उन बातों का उल्लेख नहीं कर रहे हैं।
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वर्षा समेत तीन ने दी बेल की अर्जी
राहुल के चाचा ने बताया कि इस मामले में राहुल की पत्नी वर्षा समेत कुसूम व मेघा ने जमशेदपुर कोर्ट में बेल की अर्जी दी है। जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी है। उन्होंने राहुल के मरने से पूर्व दिए गए उस बयान का उल्लेख किया, वर्षा ने उसे बताया था कि उसके पिता ने मर्डर के एक मामले में न्यायाधीश को दस लाख घूस देकर केस को रफादफा कर लिया था। इसलिए उन्होंने निवेदन किया कि तीनों की जमानत याचिका को नामंजूर किया जाए। ताकि वे बेल में बाहर रहकर सुबूत से छेड़छाड़ न कर सके।