सादगी से मनेगी ईद, घरों में पढ़ी जाएगी नमाज
ईद सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने अमन चैन की दुआ मांगने तथा एक दूसरे से गले मिलकर दिल से दिल मिलाने घरों में दावत का आयोजन करने उपहार देने का पर्व माना जाता है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : ईद सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने, अमन चैन की दुआ मांगने तथा एक दूसरे से गले मिलकर दिल से दिल मिलाने, घरों में दावत का आयोजन करने, उपहार देने का पर्व माना जाता है। लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते सब फीका हो गया है। लोग घरों में रहकर ही ईद की नमाज पढ़ेंगे व सादगी से यह त्योहार मनाएंगे। साथ ही ईद में बची रकम जरूरतमंदों पर खर्च करेंगे।
अंजुमन इस्लाहुल मुसल्मीन, मदरसा मिफ्ताउल उलूम तथा नूर मस्जिद आनंद भवन लेन की ओर से इस वर्ष सादगी से ईद मनाने का अनुरोध किया गया है। मस्जिदों में केवल मौलाना ही नमाज पढ़ेंगे। यहां आम लोगों के प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। लोग अपने घरों में ही रहकर सुबह 6 से 11 बजे तक परिवार के लोगों के साथ ईद की नमाज अदा करेंगे। इस वर्ष कोरोना की आफत के चलते नए कपड़े की जगह घरों में रखे अच्छे कपड़े पहनने, दावत में फिजूलखर्ची नहीं करने, सरकार के निर्देश के अनुसार शारीरिक दूरी का पालन करने, किसी से गले नहीं मिलने, दावत में अपने घर किसी को नहीं बुलाने और न ही दूसरों के घर जाने, बाजार में अनावश्यक खरीदारी नहीं करने को कहा गया है। साथ ही यह अनुरोध किया गया है कि इस महामारी में बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं। उनके पास खाने पीने की कमी हो गई है। ऐसे में ईद में बची रकम वैसे जरूरतमंदों की मदद पर खर्च की जाए। दुनिया में दुख भरा माहौल है। ऐसे में एक खुशी मनाता है तो अच्छा नहीं है। दावत में फिजूलखर्ची न कर बची रकम जरूरतमंदों के काम आए, यही सोच कर ईद सादगी से मनाएंगे। हम सबको मिलजुल कर इस संकट से लड़ना है, पड़ोसी को भी देखना है कि कहीं वह तो तकलीफ में नहीं है।
- मो. जाबिर। घर में ही परिवार के साथ रहकर ईद की नमाज पढ़ेंगे। नए कपड़ा नहीं पहनेंगे। उनकी जगह घर में रखे अच्छे कपड़े से ही काम चलाएंगे। सरकार की ओर से कोरोना से बचाव के लिए जो निर्देश दिए गए हैं उसका पालन करेंगे। घर में दावत नहीं बल्कि सादगी के साथ इस साल ईद मनाएंगे।
- एजाज अख्तर। कोरोना के चलते किसी से गले मिलना या हाथ मिलाना मना है। ऐसे में अपने घर में रहकर ही परिवार के साथ नमाज पढ़ेंगे और अमन चैन की दुआ मांगेंगे। किसी के यहां आना-जाना भी नहीं है। सरकार की बात मानकर इस कोरोना महामारी को हराना है। किसी तरह महामारी से मुक्ति मिल जाए।
-शाकिर राजा। ईद पर घर में रहकर परिवार के साथ नमाज अदा करेंगे व अमन चैन की दुआ मांगेंगे। साथ मिलकर लच्छा, सेवइयां खाएंगे। कोरोना संक्रमण न हो इसके लिए सरकार की ओर से दिए गए निर्देश का सभी को पालन करना होगा, इसी से खुद और अपने परिवार को भी महामारी से बचा सकेंगे।
-मो. महफूज खान। मस्जिदों में किसी आम नागरिक को जाना मना है, केवल मौलवी ही वहां नमाज अदा करेंगे। सामूहिक नमाज पर रोक होने के कारण अपने घर में ही नमाज पढ़ेंगे। आम ंिहंदुस्तानी दुखी है ऐसे हालात में खुशी मनाना ठीक नहीं है। हम सादगी से ईद मनाएंगे व अमन चैन की दुआ करेंगे।
- शाहिद खान। ईद पर गले से गले मिलकर दिल से दिल मिलाया जाता था, पर इस साल ऐसा नहीं हो पाएगा। हम इस साल ईद की नमाज घर में ही अदा करेंगे। अधिक खरीदारी न कर कम में ही काम चलाएंगे एवं बची रकम जरूरतमंदों में बांटेंगे जिनको अभी इसकी सख्त जरूरत है।
- मो. रकीब।