कुलियों की आर्थिक हालत खराब, रोटी के लाले
कोरोना संक्रमण के कारण राउरकेला स्टेशन में यात्रियों का सामान ढ़ो कर अपनी जीवन यापन करने वाले कुलियों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है।
राजेश साहू, राउरकेला
कोरोना संक्रमण के कारण राउरकेला स्टेशन में यात्रियों का सामान ढ़ो कर अपनी जीवन यापन करने वाले कुलियों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। इसके बावजूद न रेलवे और ना ही स्थानीय प्रशासन की ओर से इनको किसी प्रकार की सहायता दी जा रही है। इस कारण इन कुलियों के समक्ष रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इस कोरोना महामारी के दौरान एक तो वैसे ही शहर होकर आने-जाने वाली दर्जनों ट्रेनों में यात्री काफी कम यात्रा कर रहे है। इससे इनकी कमाई ना के बराबर हो चुकी है। वहीं, इस दौरान जो यात्री सफर कर रहे है वे लोग संक्रमण के कारण कुलियों से सामान नही उठवा रहे है बल्कि खुद ही आपना सामान ले जा रहे है। इससे थोड़ी-बहुत कमाई की आशा रखे कुलियों को 100-50 रुपये भी कमाना मुश्किल हो गया है। कुलियों ने अपनी हालत को देखते हुए रेलवे विभाग के अधिकारियों और स्थानीय जिला प्रशासन से सहायता की मांग की है। ताकि इनको और इनके परिवार को दो वक्त का खाना मिल सके।
महामारी के साथ कई ट्रेनें रद : इस महामारी के दौरान कुलियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तो कोरोना के कारण ट्रेन में फिलहाल 70 से 80 फीसद लोग सफर करना बंद कर दिए है। इसे देखते हुए रेल विभाग की ओर से धीरे- धीरे अब कई ट्रेनों को रद किया जा रहा है। इतना ही नही चक्रवात यास के कारण दक्षिण-पूर्व रेलवे द्वारा हावड़ा- मुंबई मार्ग में चलने वाली एक दर्जन से अधिक ट्रेनों को रद कर दिया गया गया है। इससे राउरकेला स्टेशन एक तरह से यात्री विहीन हो गया है।
स्टेशन में लगभग छह दर्जन से अधिक कुली : महामारी के कारण राउरकेला स्टेशन में लगभग 6 दर्जन से अधिक कुली काम करते है। जो यात्रियों का सामान ढ़ो कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। लेकिन इस महामारी के कारण यात्री कम होने से इनकी कमाई एक तरह से ठप हो गई है। इससे बहुतायत कुली अपनी जीविका के लिए गांव कूच कर गए हैं। शेष बचे लगभग दो दर्जन कुली यात्री नहीं मिलने से दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हो रहे हैं।
नही है इनके पास राशन कार्ड : स्टेशन में काम करने वाले अधिकांश कुलियों के पास राशन कार्ड तक नहीं है। इतना ही नहीं राज्य सरकार की ओर से कमजोर वर्ग व श्रमिकों के लिए चलाई जा रहीं अन्य योजनाओं का लाभ भी इन्हें नहीं मिलता है।
पिछले साल भी नहीं मिली कोई सहायता : मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण की पहली लहर से लेकर वर्तमान जारी दूसरी लहर में समय-समय पर ट्रेनों का परिचालन बंद किया गया। लेकिन इन ट्रेनों सफर करने वाले यात्रियों को सामान ढो कर जीवन गुजर-बसर करने वाले कुलियों की किसी ने सुधि नहंी ली। पहली लहर में भी कुलिया को न तो रेलवे और ना ही स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई सहायता मिली। इस कारण हालत दयनीय हो गई है।