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महानगर निगम क्षेत्र में श्वान बंध्याकरण योजना फेल

राउरकेला महानगर निगम क्षेत्र श्वान बंध्याकरण योजना फेल हो गई है। राउकेला को विश्व स्तर पर श्रेष्ठ 15 शहरों की मान्यता मिल गई पर विकास की गति में बदलाव नहीं आ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 09:24 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 09:24 AM (IST)
महानगर निगम क्षेत्र में श्वान बंध्याकरण योजना फेल
महानगर निगम क्षेत्र में श्वान बंध्याकरण योजना फेल

जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला महानगर निगम क्षेत्र श्वान बंध्याकरण योजना फेल हो गई है। राउकेला को विश्व स्तर पर श्रेष्ठ 15 शहरों की मान्यता मिल गई पर विकास की गति में बदलाव नहीं आ रहा है। श्वान बंध्याकरण पर लाखों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। हर महीने 80 श्वान की नसबंदी होनी चाहिए पर औसत नौ की नसबंदी हो रही है। हर चौक चौराहे पर श्वान का झुंड देखा जा रहा है। इनके चलते लोगों को आने जाने में दिक्कतें हो रही हैं एवं दुर्घटनाएं भी हो रही है। बड़ी संख्या में लोगों को श्वान काट कर जख्मी कर रहे हैं। 2001 में एनिमल बर्थ कंट्रोल कार्यक्रम शुरू हुआ है पर परिणाम विपरीत है।

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योजना का काम ठीक तरह से नहीं होने के कारण श्वान की संख्या घटने के बजाय दिनों दिन बढ़ रही है। मुख्य सड़क ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में श्वान बड़ी संख्या में देखे जा रहे हैं। खास कर बस्ती इलाके में इनकी संख्या अधिक है। मधुसूदनपल्ली, गोपबंधुपल्ली, नया बाजार, मेन रोड, डेली मार्केट, गांधी रोड, पानपोष, गंगाधरपल्ली, बिरजापल्ली, सिविल टाउनशिप, छेंड कालोनी, कोयलनगर, जगदा क्षेत्र में अधिक संख्या में श्वान के होने से सड़कों पर वाहन चलाना खतरे से खाली नहीं है। अंधेरा होते ही ये बाहर आकर सड़कों में अधिक संख्या में घूमते हैं। खास कर साइकिल व बाइक चालकों के लिए ये परेशानी का कारण बन रहे हैं। श्वान के काटने से हर दिन राउरकेला सरकारी अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन लेने के लिए 10 से 15 लोग आ रहे हैं। श्वान के काटने से रैबीज की बीमारी होती है। इसे ध्यान में खकर राउरकेला महानगर निगम की ओर से राउरकेला पशु चिकित्सालय में बंध्याकरण कराया जा रहा था। श्वान को किसी क्षेत्र से पकड़ने के बाद बंध्याकरण के पश्चात उसी क्षेत्र में लगाकर छोड़ा जा रहा था। 2015 की गणना में 25 हजार श्वान थे एवं हर सप्ताह 20 श्वान का बंध्याकरण करना था। एक श्वान पर पांच सौ रुपये खर्च किए जा रहे थे। छह साल बीत जाने के बाद भी इस योजना की सफलता नजर नहीं आ रही है। श्वान के काटने से हर दिन राउरकेला सरकारी अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन लेने के लिए 10 से 15 लोग आ रहे हैं।

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कोट-

कोरोना महामारी के चलते लावारिस श्वान बंध्याकरण का काम धीमा हुआ है। कोरोना लॉकडाउन के कारण यह कार्यक्रम ठीक तरह से नहीं चल पा रहा है। प्रतिबंध में ढील मिलने के बाद इसे नियमित किया जायेगा एवं अधिक श्वानों का बंध्याकरण होगा।

- राजेश कुमार सेठी, पशु चिकित्सा अधिकारी, राउरकेला।


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