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2030 तक कच्चे इस्पात का उत्पादन 300 मीट्रिक टन होने की उम्मीद : प्रधान

वैश्विक स्तर पर चुनौतियों का सामना कर रहे इस्पात उद्योग में सेल की प्रासंगिकता को न केवल बरकरार रखा जाएगा बल्कि इसके ढांचे व तंत्र में साकारात्मक बदलाव कर निरंतर विकास हमारा लक्ष्य है। जो नीतिगत बदलाव किए जा रहे हैं उसका नतीजा शीघ्र दिखेगा और राउरकेला व सेल के ²ष्टिकोण से कहें तो इसकी अर्थनीति का आकार 2020 मार्च तक दोगुना हो जाएगा। उक्त बातें केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस व इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही। अपने तीन दिवसीय दौरे पर राउरकेला पहुंचे धर्मेंद्र प्रधान रविवार को होटल मैफेयर में मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि सेल के आर्थिक विकास के लिए कई नीतिगत फैसले लिए जा रहे हैं। जिसका असर शीघ्र दिखने लगेगा। खासकर सेल के खदानों से निकलनेवाले खणिज के इस्तेमाल को लेकर जो बंदिशें थी उसे हटाने का प्रयास चल रहा है। जिससे सेल अपने खदान के खणिज का इस्तेमाल करने के बाद एक तय मात्रा में इसे बाकी

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 11:30 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 06:36 AM (IST)
2030 तक कच्चे इस्पात का उत्पादन 300 मीट्रिक टन होने की उम्मीद : प्रधान
2030 तक कच्चे इस्पात का उत्पादन 300 मीट्रिक टन होने की उम्मीद : प्रधान

जागरण संवाददाता, राउरकेला: वैश्विक स्तर पर चुनौतियों का सामना कर रहे इस्पात उद्योग में सेल की प्रासंगिकता को न केवल बरकरार रखा जाएगा बल्कि इसके ढांचे व तंत्र में सकारात्मक बदलाव कर निरंतर विकास हमारा लक्ष्य है। जो नीतिगत बदलाव किए जा रहे हैं उसका नतीजा शीघ्र दिखेगा और राउरकेला व सेल के दृष्टिकोण से कहें तो इसकी अर्थनीति का आकार 2020 मार्च तक दोगुना हो जाएगा। उक्त बातें केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस व इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही।

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अपने तीन दिवसीय दौरे पर राउरकेला पहुंचे धर्मेंद्र प्रधान रविवार को मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि सेल के आर्थिक विकास के लिए कई नीतिगत फैसले लिए जा रहे हैं। जिसका असर शीघ्र दिखने लगेगा। खासकर सेल के खदानों से निकलनेवाले खनिज के इस्तेमाल को लेकर जो बंदिशें थी उसे हटाने का प्रयास चल रहा है। जिससे सेल अपने खदान के खनिज का इस्तेमाल करने के बाद एक तय मात्रा में इसे बाकी के लघु व मध्यम इकाइयों को उपलब्ध भी करा सकेगा। इससे आय बढ़ाने की उम्मीद है। इस बदलाव के साथ ही सेल के मौजूदा उत्पादन क्षमता 140 टन मीट्रिक टन से बढ़ाकर 300 मीट्रिक टन सालाना करने की उम्मीद है। इस मौके पर मंत्री के साथ अन्य में सांसद जुएल ओराम, विधायक शंकर ओराम, सेल के चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी मंचासीन थे।

सेल की जमीन पर बसी बस्तियों को पीएम आवास योजना से जोड़ने का प्रस्ताव :

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सेल की जमीन पर अवैध कब्जा है इससे इन्कार नहीं किया जा सकता। लेकिन उनका शहरों की अर्थनीति में योगदान है। वहीं सेल को अपने क्षमता में विस्तार के लिए जमीन की जरूरत है। इन दोनों बातों के मद्देनजर एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है कि बस्तियों में रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना से जोड़ा जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों, सेल के अधिकारियों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की गयी है। इस पर विस्तृत काम करने की आवश्यकता है। सेल को जो जमीन चाहिए वह मिल जाए और बस्तीवासियों को घर मिल जाए तो कई समस्याओं का एक साथ समाधान होगा। जो सभी के हित में होगा। इसके लिए बैंकों व अन्य एजेंसियों तथा शहरी विकास मंत्रालय से भी संपर्क करने का प्रयास वे करेंगे।

सेल के मजदूरों के वेज व पेंशन पर वार्ता शीघ्र: केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सेल के मजदूरों के वेज रिवीजन व पेंशन योजना पर शीघ्र वार्ता बुलायी जाएगी। मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों से उनसे मिलकर अपनी बात रखी है। यह भी बताया है कि सातवें वेतन आयोग के बाद से उनका वेज रीविजन पर बात अटकी हुई है। इसमें तेजी लायी जाएगी। इस दिशा में प्राथमिकता के साथ काम किया जा रहा है।


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