सुंदरगढ़ से वेतन, बरहमपुर और पुरी में दे रहे सेवा
सुंदरगढ़ से वेतन बरहमपुर और पुरी जैसे बाहरी जिलों में सेवा।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ से वेतन, बरहमपुर और पुरी जैसे बाहरी जिलों में सेवा। छह महीने या एक साल के लिए नहीं, बल्कि सुंदरगढ़ आयुर्वेदिक मेडिकल सेंटर में कार्यरत डॉक्टर कई वर्षों से ऐसे ही सेवाएं दे रहे हैं तथा प्रतिनियुक्ति में जाकर लौटने का नाम नहीं ले रहे है। नतीजतन, सुंदरगढ़ में आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवा अस्त-व्यस्त पड़ी हुई है। जिले में डॉक्टरों की कमी से स्वास्थ्य केंद्र बंद हो गए हैं। ग्रामीण लोगों को आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक उपचार प्रदान करने के लिए 33 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र और 24 होम्योपैथी केंद्र स्थापित किए गए हैं। हाल के दिनों में इन दो उपचारों में जनता की रुचि बढ़ गई है। इसके बाद जिले में एक बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि सरकार और संबंधित विभाग आवश्यक डॉक्टरों को प्रदान करने के लिए इच्छुक नहीं दिख रहा है।
33 केंद्रों में 27 डॉक्टर, पांच प्रतिनियुक्ति पर : बालिशंकरा ब्लॉक में 4 , बाणईगढ़, हेमगीर, लेफ्रिपाड़ा में तीन, गुरुंडिया, कुआरमुंडा, लहुणीपाड़ा, नुआगांव, सुबडेगा, टांगरपल्ली, सुंदरगढ़ सदर ब्लॉकों में दो और अन्य ब्लॉकों में एक आयुर्वेदिक केंद्र हैं। 33 केंद्रों में 27 डॉक्टर कार्यरत थे, लेकिन उनमें से पांच कई वर्षों से प्रतिनियुक्ति पर है। डा. सुलोचना रथ को 27 जून 2003 को बरहमपुर में प्रतिनियुक्ति किया गया था। जबकि डा. शांतिलता साहू को 10 मार्च 2008 को पुरी में प्रतिनियुक्ति किया गया। डा. नवीन कुमार बेहरा को 10 सितंबर 2012 को बलांगीर एवं डा. गोपीनाथ मिश्र को 9 अगस्त 2004 को प्रतिनियुक्ति किया गया और डा. चंद्रशेखर सामंत को तीन दिसंबर 2019 को बलांगीर भेजा गया।
प्रतिनियुक्ति पर गए डॉक्टर नहीं लौटना चाहते जिला : लेकिन अब ये सभी चिकित्सक सुंदरगढ़ नहीं लौटना चाहते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि विभाग इतने लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर रखकर जिले की स्वास्थ्य सेवा की अनदेखी क्यों कर रहा है। डॉक्टरों की कमी के कारण, केंद्र वर्षों से बंद हैं, और लाखों रुपये के मूल्य की इमारतें नष्ट हो गई हैं। अब राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन आयुर्वेदिक चिकित्सा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और लोग इस चिकित्सा सेवा को प्राप्त करने के लिए भी इच्छुक हैं, जबकि सुंदरगढ़ जिले में डॉक्टरों की कमी ने आयुर्वेदिक सेवा को मजाक बना दिया है।