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जान की चिंता ले आई गांव, पेट करा रहा पलायन

महामारी कोरोना अपनी काया लगातार विस्तार कर रहा है। वहीं पांच माह से घर पर बैठे मजदूर वर्ग परिवार को आजीविका की चिता सताने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 11:42 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 11:42 PM (IST)
जान की चिंता ले आई गांव, पेट करा रहा पलायन
जान की चिंता ले आई गांव, पेट करा रहा पलायन

कमल विश्वास, राउरकेला

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महामारी कोरोना अपनी काया लगातार विस्तार कर रहा है। वहीं, पांच माह से घर पर बैठे मजदूर वर्ग परिवार को आजीविका की चिता सताने लगी है। अपने और परिवार के पेट तक दाना पहुंचाने के लिए फिर से अपने जीवन को जोखिम में डालने को तैयार हो गए है। जिस कोरोना के कारण प्रवासी मजदूर घर की ओर रूख किए थे, अब उसी की अनदेखी कर काम के लिए बाहरी राज्य को लौटने लगे है। कोरोना के लिए पूरा देश 25 मार्च को लॉक डाउन कर दिया गया था। नतीजतन, दुकान, बाजार व कारखानों में ताला लग गया था। भोजन-पानी न मिलने के कारण प्रवासी मजदूर भूखे प्यासे ही बसों, ट्रकों, ट्रेनों और यहां तक कि पैदल ही अपने घरों का रुख किया था। बाध्य होकर सरकार को बस और ट्रेन से श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

बालिशंकरा व आरएमसी क्षेत्र से सबसे मजदूर लौटे : इस सूची में जिले के बालिशंकरा, राउरकेला महानगरपालिका क्षेत्र, सुंदरगढ़, राजगांगपुर, टांगरपाली, कुतरा, कुआरमुमडा़, सबडेगा, बिसरा, बड़गां, सुदंरगढ़ नगर पालिका क्षेत्र, लाठीकटा ब्लॉकों से सबसे अधिक मजदूर लौट थे। लेकिन घर में बैठे-बैठे जमा पूंजी समाप्त होने के कारण फिर से अपनी जान जोखिम में डालने के लिए मजदूरों ने मन बना लिया है। जान के डर भले ही घर लौट आए थे। लेकिन अब दूसरे राज्यों के मालिकों द्वारा भेजी गई बस से फिर वे लोग काम पर लौटने लगे है। जिला प्रशासन को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि बस कौन भेज रहा है तथा किस कंपनी से यह आ रही है। पहले भी प्रवासी मजदूरों की सूची न तो श्रम विभाग के पास थी और ना ही अब पुन: मजदूरी को लिए बाहर जाने वाले मजदूरों की जानकारी है। तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश से दैनिक बसे सुंदरगढ़ जिले के विभिन्न अंचलों को आ रही हैं और श्रमिकों को उनके राज्यों में ले जा रही हैं।

सरकारी पोर्टल में 7028 प्रवासी मजदूर लौटने की सूचना

हालांकि, जिला प्रशासन के अनुसार, 25,000 से अधिक प्रवासी कोरोना अवधि के दौरान अपने जिलों में लौट आए। जो आधिकारिक पोर्टल पर 7028 तक सीमित है। इनमें से 1181 बालिशंकरा, 1078 राउरकेला महानगरपालिका क्षेत्र, 514 सुंदरगढ़ प्रखंड, 472 राजगांगपुर प्रखंड 430 टांगरपाली प्रखंड 371 कुतरा प्रखंड से थे। उनमें से अधिकांश काम पर लौट गए हैं। सुंदरगढ़ जिले को लौटने वाले प्रवासियों के स्वरोजगार के मुद्दे पर कई दफा चर्चा कर योजना तैयार किया गया था। मनरेगा में इन मजदूरों को काम देने की निर्णय लिया गया था। लेकिन आए दिन बसों में दूसरे राज्यों के लौटने वाले मजदूरों देखकर जिले में मनरेगा की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा मजदूर गोवा से 1440, तमिलनाडु से 1144, झारखंड से 764, कर्नाटक से 637, महाराष्ट्र से 551, छत्तसीगढ़ से 521 आंध्र प्रदेश से 458, बिहार 351, पश्चिम बंगाल से 338, तेलंगाना से 260, केरल से 151, उत्तर प्रदेश से 149, गुजरात से 106, मध्यप्रदेश से 89, दिल्ली से 23, राजस्थान से 20, पंजाब 9, दादर व नगर हवेली से 5, आसाम से 4, उत्तराखंड से 4, हरियाणा तीन व जम्मू कश्मीर से 1 व्यक्ति लौटा था। प्रखंड लौटने वाले मजदूर

बालिशंकरा 1181

आरएमसी 1078

सुंदरगढ़ 514

राजगांगपुर 472

टांगरपाली 430

कुतरा 371

कुआरमुंडा 365

सबडेगा 345

बिसरा 345

बड़गांव 272

सुंदरगढ़ नपा 247

लाठीकटा 237

लेफ्रिपाड़ा 222

नुआगांव 219

राजगांगपुर नपा 202

बणईगढ़ 115

लोहणीपाड़ा 110

बीरमित्रपुर नपा 109

हेमगिर 81

गुरुंडिया 67

कोईड़ा 46


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