बीजद नेता मंगला का पीछा नहीं छोड़ रहे विवाद
राजगांगपुर के पूर्व विधायक सह बीजद के दिग्गज नेता मंगला किसान की छवि एक स्वच्छ एवं ईमानदार राजनेता की रही है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला: राजगांगपुर के पूर्व विधायक एवं बीजू जनता दल (बीजद) के नेता मंगला किसान की छवि एक स्वच्छ एवं ईमानदार राजनेता की रही है। लेकिन विगत कुछ दिनों से मंगला व विवादों में चोली-दामन का साथ देखा जा रहा है। कुछ महीने पूर्व आइआइपीएम कांसबाहाल में निदेशक के खिलाफ छात्र आंदोलन के मामले में तत्कालीन विधायक मंगला किसान की खूब किरकिरी हुई थी। निदेशक के तबादले को लेकर विद्यार्थियों का आंदोलन सफल रहने के साथ प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष सह विधायक मंगला किसान को भी इस्तीफा देना पड़ा था। अब सरबती देवी महिला कॉलेज में महिला चपरासी के उत्पीड़न का मामला बीजद नेता मंगला किसान की छवि को धूमिल कर रहा है। क्योंकि वह कालेज की गवर्निग बाडी के अध्यक्ष भी हैं।
उल्लेखनीय है कि इस कॉलेज की महिला चपरासी नीला एक्का ने प्राचार्य चंद्रमणि पटेल, लेखापाल पानूचरण पाइकरा तथा अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक प्रो.सपन पंडा के खिलाफ जातिसूचक गाली देने, छेड़खानी व बदसलूकी का आरोप लगाकर राजगांगपुर थाना में शिकायत की थी। लेकिन पुलिस ने प्राथमिकी में प्राचार्य का नाम होने के बाद भी केवल लेखापाल व प्राध्यापक के खिलाफ केस दर्ज किया है। दूसरी ओर गवर्निग बाडी के अध्यक्ष मंगला किसान की अध्यक्षता में इस मामले को लेकर बैठक भी हुई। इस बैठक में गवर्निग बॉडी में 15 सदस्य होने के बाद भी केवल पांच सदस्यों की उपस्थिति में फैसला सुना दिया गया। जिसमें प्राचार्य को हटाने की मांग पर राज्य सरकार को खत लिखने, लेखापाल को निलंबित करने तथा प्राध्यापक को महज चेतावनी देकर छोड़ा गया है। जबकि पीड़ित नीला एक्का ने सभी नामजद आरोपितों की गिरफ्तारी न होने से आत्मदाह की धमकी दी है।
वहीं कांग्रेस के कद्दावर नेता जार्ज तिर्की ने भी इस मामले को लेकर कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इससे आइआइपीएम कांसबाहाल प्रकरण की तरह यह मामला भी बीजद नेता मंगला किसान पर भारी पड़ सकता है। लेकिन इन मामलों को लेकर मंगला किसान से सहानुभूति रखने वालों की भी कमी नहीं है। उनका कहना है कि मंगला किसान के कतिपय चहेते ही उनके लिए मुश्किल खड़ी करने का काम कर रहे हैं। इसका उदाहरण जनता आइआइपीएम कांसबाहाल में छात्र आंदोलन में देख चुके हैं तथा इसका ताजा उदाहरण सरबती देवी महिला कॉलेज प्रकरण है।