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मातृ-शिशु की सुरक्षा के लिए स्थापित किए जाएंगे 9 और मां गृह

सुंदरगढ़ जिला स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करने के लिए सार्वजनिक और निजी भागीदारी (पीपीपी) पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 01:37 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 01:37 AM (IST)
मातृ-शिशु की सुरक्षा के लिए स्थापित किए जाएंगे 9 और मां गृह
मातृ-शिशु की सुरक्षा के लिए स्थापित किए जाएंगे 9 और मां गृह

जागरण संवाददाता, सुंदरगढ़ : सुंदरगढ़ जिला स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करने के लिए सार्वजनिक और निजी भागीदारी (पीपीपी) पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। जिला-स्तरीय समीक्षा बैठक में इसे लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। विशेष रूप से जिले के दूरदराज के क्षेत्रों में, मातृ और शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए और अधिक मां गृह स्थापित किए जाएंगे। जिलापाल निखिल पवन कल्याण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जिले के विभिन्न शहरी स्वास्थ्य केंद्रों (यूपीएचसी), ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और मां गृह के प्रबंधन की समीक्षा की गई। पहले से ही राउरकेला के तिलकनगर में सेक्टर 22 में स्थित यूपीएचसी पीपीपी के तहत चल रहे है। अब राउरकेला के हमीरपुर और महताब रोड के यूपीएचसी को सरकारी और निजी साझेदारी में चलाने का निर्णय लिया गया है। नतीजतन, जिले में कुल 10 शहरी पीएचसी में से, स्वास्थ्य विभाग सीधे उनमें से 6 का प्रबंधन कर रहा है, जबकि 4 केंद्र निजी या स्वैच्छिक संगठनों द्वारा चलाए जा रहे हैं। जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में 9 नए मां गृह की स्थापना करने के साथ जिले में मौजूद 75 ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में से 5 का प्रबंधन सार्वजनिक और निजी भागीदारी के माध्यम से करने का भी निर्णय लिया गया।

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मां गृह निभा रहा है जच्चा-बच्चा की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका : सुंदरगढ़ जैसे आदिवासी बहुल जिले में मां गृह जच्चा-बच्चा की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सुदूर क्षेत्रों के लोगों सहित विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं के लक्षणों वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसव से कुछ दिन पहले मां गृह में रखा जाता है। यहां उनकी स्वास्थ्य जांच के साथ-साथ पौष्टिक भोजन और गर्भावस्था दौरान क्या करना है, इसकी सलाह दी जाती है। सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के लिए समय पर निकटतम अस्पताल में पहुंचाया जा सकता है।

जिलापाल निखिल पवन कल्याण ने कहा, कि प्रसव के बाद, मां और बच्चे की जांच कर उन्हें घर भेजा जाता है। 2012 के बाद से ही, जिले के लेफ्रीपाड़ा, लहुनीपाड़ा, गुरुंडिया, कोइडा और राजगांगपुर ब्लॉक के दूरदराज के इलाकों में पांच मदर हाउस संचालित हो रहे हैं। बाद में, लेफ्रिपाड़ा, गुरुंडिया, लहुनीपाड़ा और कोइडा में जिला खनिज संस्थान के वित्तीय सहायता से और चार आठ-बेड के मां गृह की स्थापना की गई है। इस साल से यह सभी चालू हो गए हैं। हालांकि, जिला प्रशासन 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के इनकी आधिकारिक उद्घाटन की तैयारी कर रहा है।

पांच माह में 707 माताओं ने प्राप्त की सेवा : मां गृह से 1477 माताओं को अबतक लाभ हुआ है। विगत एक अप्रैल से 31 अगस्त तक 707 माताओं ने सेवाएं प्राप्त की है। आने वाले दिनों में, हेमगिरी ब्लॉक के डूडूका, टांगरपल्ली के तलसडीह, सबडेगा के टांगर गांव, बडग़ांव के एकमा, कुतरा के खतकुरबहाल, लाठीकटा के रामजोड़ी, बणेईगढ़ के टिकायतपल्ली और बिसरा में नौ और मां गृह बनाए जाएंगे। जिले की खनिज निधि से इसके लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है। बैठक में समाज कल्याण, चिकित्सा सहित शहरी सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल थे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुंदरगढ़ जिले के 180 गांवों की पहचान सुदूर क्षेत्रों के रूप में की गई है। प्रशासन द्वारा इन सभी क्षेत्रों में मां गृह की स्थापना करके मातृ और शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।


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