बगैर वित्तीय मंजूरी के 500 नलकूपों के लिए खनन
खुले में शौच मुक्त गांव के सूचना फलक लगाने में व्यापक भ्रष्टाचार व सरकारी नियम की तिलांजलि देकर बिल तैयार करने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि सुंदरगढ़ ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के नाम पर और एक गंभीर आरोप सामने आया है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : खुले में शौच मुक्त गांव के सूचना फलक लगाने में व्यापक भ्रष्टाचार व सरकारी नियम की तिलांजलि देकर बिल तैयार करने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि सुंदरगढ़ ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के नाम पर और एक गंभीर आरोप सामने आया है। इस बार बगैर फिजीबिलिटी व वित्तीय मंजूरी के विभाग द्वारा विभिन्न प्रखंडों में 500 से अधिक नलकूपों के लिए खनन कराया गया है। इस संबंध में विभाग के सहकारी अभियंता और कनिष्ठ अभियंता को कोई जानकारी नहीं है। जबकि स्थल चयन कर फिजीबिलिटी रिपोर्ट देने के बाद वित्तीय मंजूरी मिलने पर ही नलकूप का खनन किया जाता है।
आश्चर्यजनक बात यह है कि नलकूप खनन का कार्य संपन्न होने के बाद 25 सितंबर को जिलापाल तथा जिला खनिज संस्थान के अध्यक्ष को विभाग द्वारा फिजीबिलिटी रिपोर्ट भेजकर जिला खनिज संस्थान से राशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। इस मामले में बड़े पैमाने पर अनियमितता होने की शिकायत हो रही है। नियमानुसार, प्रत्येक प्रखंड के दायित्व में रहने वाले विभागीय कर्मचारी ग्रामीण पेयजल के संबंध में अपनी रिपोर्ट प्रखंड के प्रभार में रहने वाले कनीय अभियंता को देते हैं। इसमें कहां पर नलकूप खराब है, कहां पर आवश्यकता है, उल्लेख किया जाता है। इसी रिपोर्ट के आधार पर कनिष्ठ अभियंता के मार्फत आवश्यकता के अनुसार सरकार को रिपोर्ट कर अनुमोदन मांगा जाता है। पेयजल अति आवश्यकता वाली वस्तु होने के कारण अब इसके लिए जिला खनिज संस्थान से अनुमोदन मिल रहा है। फलस्वरूप अब इस बाबत सरकार को विभाग आवेदन नहीं करता है। लेकिन अनुमोदन के बाद आवंटन का आदेश आता है। इसके बाद कनिष्ठ अभियंता संबंधित अंचल में जाकर फिजीबिलिटी रिपोर्ट देने के साथ खर्च का आंकलन तैयार कर प्रस्तुत करता है। इसी अनुसार राशि मंजूर करने के बाद अभियंता संबंधित गांव में जाकर सरपंच व ग्रामीणों की उपस्थिति में स्थान का चयन करता है। अंत में विभाग की ओर से नलकूप के लिए खनन, पाइप, हैंडपंप व दूसरे सामान उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन सुंदरगढ़ ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की ओर से इन सभी प्रक्रियाओं का अनुपालन नहीं किए जाने का आरोप लग रहा है। सहकारी अभियंता, कनिष्ठ अभियंता से कोई रिपोर्ट लेना तो दूर नलकूप खनन के संदर्भ में इन्हें कोई जानकारी तक नहीं दी गई है। यहां तक कि विभाग ने मार्च 2000 के बाद से न तो पाइप, हैंडपंप व अन्य उपकरणों की खरीदारी नहीं की गई है।
दो माह में किया गया खनन : पिछले दो माह के भीतर बालीसंकरा ब्लॉक में 50, लेफ्रिपाड़ा ब्लॉक में 72, टांगरपाली ब्लॉक में 146, सबडेगा ब्लॉक में 40, कुतरा व राजगांगपुर ब्लॉक में 146 नलकूपों का खनन किए जाने की खबर है। इसके बाद अभियंता को फिजीबिलिटी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। जिसे 24 सितंबर को जिलापाल के पास सौंपा गया है। जिलापाल को अंधेरे में रखकर यह सभी अनियमितता किए जाने की चर्चा हो रही है। कोट
नलकूप खनन के संबंध में उनके पास कोई सूचना नहीं है। हालांकि उन्हें इसकी जानकारी मिली है। विभाग ने नलकूपों के लिए पिछले माह फिजीबिजिटी रिपोर्ट प्रदान किया है। लेकिन नलकूप का खनन किसने किया है, इसकी जानकारी नहीं है।
नृपलाल भोई, अभियंता