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मौत के 21 दिन बाद रायसेन मरांडी का शव स्वजनों के हवाले

पुलिस के हस्तक्षेप से मौत के 21 दिन बाद गुरुवार को राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के ठेका श्रमिक रायसेन मरांडी का शव लेने के लिए परिवार के लोग तैयार हुए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 10:00 PM (IST)
मौत के 21 दिन बाद रायसेन मरांडी का शव स्वजनों के हवाले
मौत के 21 दिन बाद रायसेन मरांडी का शव स्वजनों के हवाले

जागरण संवाददाता, राउरकेला : पुलिस के हस्तक्षेप से मौत के 21 दिन बाद गुरुवार को राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के ठेका श्रमिक रायसेन मरांडी का शव लेने के लिए परिवार के लोग तैयार हुए। राउरकेला एसपी, एडीएम, उपजिलापाल, एएसपी, डीएसपी, टांगरपाली थाना अधिकारी, श्रमिक नेता रमेश साहू, मृतक की बेवा मल्ल मरांडी व अन्य स्वजनों की मौजूदगी में बैठक के बाद मुआवजा, नौकरी व मामले की जांच पर सहमति बनी।

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आरएसपी के ठेका श्रमिक रायसेन मरांडी 11 फरवरी को सी शिफ्ट की ड्यूटी में आए थे जहां तबीयत बिगड़ने पर रात को अस्पताल ले जाया गया था जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। नौकरी व मुआवजा पर सहमति नहीं बनने के कारण शव आइजीएच के शव गृह में पड़ा था। गुरुवार को अधिकारियों व मृतक के स्वजनों की मौजूदगी में हुई बैठक में ठेका श्रमिक रायसेन मरांडी की मौत की निरपेक्ष जांच जिला प्रशासन की ओर से करने एवं इसमें मृतक के भांजे श्रीकृष्णा मरांडी, साला गोव‌र्द्धन मरांडी, विदुलता महंती व श्रमिक रमेश साहू को शामिल करने व पोस्टमार्टम दो चिकित्सक व मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में कराने पर सहमति बनी। मौत की निरपेक्ष जांच करने तथा ड्यूटी के दौरान मौत का पता चलने पर जिला प्रशासन की ओर से आरएसपी प्रबंधन से नियमानुसार संयंत्र में स्थायी नौकरी की सिफारिश करने, बेवा मल्ला मरांडी की इच्छा के अनुसार ठेकेदार शैलेन्द्र प्रसाद के अधीन ननद नीतू मरांडी को नौकरी देने, सरकार के नियमानुसार रायसेन मरांडी के बच्चों को पढ़ाई के लिए आरएसपी प्रबंधन की ओर से व्यवस्था करने, बेवा मल्ला मरांडी एवं परिवार के भरण पोषण के लिए नियमानुसार ठेका संस्था द्वारा ढाई लाख रुपये मुआवजा एवं अंतिम संस्कार के लिए 15 हजार रुपये प्रदान करने, जिला प्रशासन की ओर से सामाजिक सुरक्षा के तहत विभिन्न भत्ता आश्रित को देने, आरएसपी प्रबंधन की ओर से रायसेन मरांडी के पीएफ एवं अन्य प्राप्ति के लिए आवश्यक पहल करने पर सहमति बनने के बाद परिवार के लोग शव लेने को तैयार हुए।


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