जागरण संवाददाता, राउरकेला : आम लोगों को मौलिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र व राज्य सरकार अनेक योजनाओं को लागू करने के साथ इन्हें मंजूरी भी दी है। लेकिन परियोजनाओं के निर्माण में काफी बिलंब के कारण आम लोग सुविधा से वंचित हो रहे हैं। अगर पेयजल आपूर्ति विभाग को लिया जाए तो जिले के लोगों के लिए विशुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 145 परियोजनाओं का काम शुरू किया गया लेकिन अबतक एक भी योजना पूरी नहीं हुई है। जबकि दिसंबर 2019 में ही इन योजनाओं का काम पूरा होना था। चाहे विभागीय अधिकारियों की अनदेखी हो या फिर ठेकेदार की लापरवाही, आम लोगों को आज तक सुविधा नहीं मिली है।
इन परियोजनाओं के पूरी नहीं होने से डेढ़ लाख की आबादी पाइप से पेयजल पाने से वंचित है। फलस्वरूप लोगों को मजबूरन चापाकल, कुआं, तालाब, नाला व चुआ का पानी पीना पड़ रहा है। राउरकेला व सुंदरगढ़ ग्रामीण जल आपूर्ति व स्वच्छता विभाग के अंतर्गत तथा जल जीवन मिशन द्वारा अनुमोदित 145 पाइप पेयजल परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं। इनमें से 126 परियोजना का एक साल से निर्माण कार्य चल रहा है। जो अब तक समाप्त नहीं हो पाया है। जबकि 18 योजनाओं का काम पिछले तीन साल से तथा एक परियोजना का काम पांच साल में भी पूरा नहीं हुआ है। यह स्थिति केवल सुंदरगढ़ जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे ओडिशा की है।
पश्चिम ओडिशा के दस जिलों में 878 परियोजनाएं लंबित : खासकर पश्चिम ओडिशा के दस जिले में सालों से परियोजनाओं का काम मंथर गति से चल रहा है। बलांगीर जिले में 72 परियोजनाओं का काम पूरी नहीं हुआ है। बरगढ़ जिले में 238, बौध में25, देवगढ़ में 30, झारसुगुड़ा में 7, कालाहांडी में 192, नुआपाड़ा में 86, संबलपुर में 12 एवं सोनपुर जिले में 66 परियोजनाएं अधूरी पड़ी हुई है। इस तरह से पश्चिम ओडिशा में ही पाइप पेयजल परियोजना की 878 परियोजना अधूरी पड़ी है। योजनाओं में हो रही देरी के कारण बार-बार भारत सरकार के जल जीवन मिशन प्रबंधन की ओर से जवाब तलब किया जा रहा है। इसके कारण जब तक यह परियोजनाएं पूरी नहीं होती तब तक आगामी अनुमोदन नहीं देने की चेतावनी दी जा रही है। फलस्वरूप आम लोग सेवा पाने से वंचित हो रहे है।
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