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कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद पद पर जमे हैं 144 सीआरसीसी

राज्य सरकार ने स्कूल और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बीच संपर्क स्थापित करने के लिए क्लस्टर प्रणाली शुरू की थी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 09:40 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 09:40 PM (IST)
कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद पद पर जमे हैं 144 सीआरसीसी
कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद पद पर जमे हैं 144 सीआरसीसी

जागरण संवाददाता, राउरकेला : राज्य सरकार ने स्कूल और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बीच संपर्क स्थापित करने के लिए क्लस्टर प्रणाली शुरू की थी। एक क्लस्टर में 8/10 स्कूल होते है और प्रत्येक क्लस्टर में एक सीआरसीसी की नियुक्ति की जाती है। एक वरिष्ठ और स्थायी शिक्षक को सीआरसीसी की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। सीआरसीसी केवल 5 साल के लिए किसी पद पर रहते है। पांच साल के कार्यकाल के बाद, शिक्षक अपने मूल स्कूलों में पढ़ाने के लिए वापस चले जाते है। लेकिन सुंदरगढ़ जिले में इसे नहीं माना जाता है। दिसंबर 2020 के अंत तक, जिले के 144 सीआरसीसी का कार्यकाल समाप्त हो गया था, लेकिन अभी तक वे अपने पद पर बने हुए है। विडंबना यह है कि जिला परियोजना समन्वयक या जिला शिक्षा अधिकारी भी इस पर ध्यान नहीं दे रहे है। सीआरसीसी को इस तरह का मौका देने के पीछे कई अटकलें लगाई जा रही है। सुंदरगढ़ जिले में कुल 221 क्लस्टर के लिए 221 सीआरसी नियुक्त हैं। इनमें से 144 सीआरसी ने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, लेकिन अभी तक उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है।

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बालिशंकरा ब्लॉक में, आठ सीआरसीसी का कार्यालय समाप्त हो गया है, लेकिन वे अभी उक्त पद पर बने हुए है। बड़गांव में 9, बिसरा में 9, बणई में 9, गुरुंडिया में 9, हेमगिर में 11, कुतरा में 5, कुआरमुंडा में 10, लहुनीपाड़ा में 13, लाठीकटा में 9, लेफ्रिपड़ा में 8, नुआगांव में 9, राउरकेला महानगर निगम अंचल की 6, राजगांगपुर में 7, सुंदरगढ़ में 5, सबडेगा में 7 व टांगरपाली प्रखंड में 10 सीआरसीसी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। लेकिन यह लोग अभी तक अपने पद को नहीं छोड़े है। एकमात्र कोइड़ा ब्लॉक में एक भी सीआरसीसी का कार्यकाल समाप्त नहीं हुआ है। कार्यकाल के अंत में, जिला परियोजना समन्वयक नए सीआरसीसी की नियुक्ति करते है। हालांकि सुंदरगढ़ जिला शिक्षा विभाग, खुलेआम उक्त नियम का उल्लंघन कर रहा है। ऐसे आरोप भी हैं कि नए सीआरसीसी की नियुक्ति नहीं होने के पीछे आपसी मिलीभगत को मुख्य वजह बताया जा रहा है।


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