महाप्रभु की नीति में गलती हुई तो सेवा से बाहर होंगे सेवायत
श्रीमंदिर मंदिर के प्रथम सेवक गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव की अध्यक्षता में आयोजित मंदिर प्रशासन की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।
जेएनएन, पुरी : श्रीमंदिर मंदिर के प्रथम सेवक गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव की अध्यक्षता में आयोजित श्री मंदिर प्रशासन की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इनमें महाप्रभु की नीति में गलती होने पर सेवायत को सेवा से बाहर करने समेत भगवान को अर्पित फूल व तुलसीदल से अगरबत्ती बनाने एवं दान में मिले चांदी के सिक्कों की बिक्री करने का निर्णय शामिल हैं। श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक प्रदीप्त महापात्र के अनुसार, किसी भी सेवायत की 3 बार की गलती माफ की जा सकती है मगर 3 से अधिक गलती करने पर कड़ी कार्रवाई होगी। चौथी बार गलती करने पर मंदिर प्रशासन उस सेवक से सेवा का अधिकार छीन लेगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से श्रीमंदिर की सेवा सुचारु होने के साथ सेवायत भी श्रंखलित होंगे। साथ ही श्रीविग्रहों को अर्पित फूल व तुलसीदल से कंपोस्ट बनवाकर अगरबत्ती बनाई जाएगी। इससे कूड़ा निपटान की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा श्रीमंदिर में चांदी के सिक्के बेचे जाने का निर्णय लिया गया है। ये सिक्के भगवान जगन्नाथ के नाम पर बनाकर भक्तों को बेचे जाएंगे। हालांकि बैठक में महाप्रसाद (अभड़ा) के दर सूची को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।
इधर, श्रीमंदिर प्रशासन की ओर से गलती करने पर महाप्रभु की सेवा से सेवायतों को वंचित करने संबंधित फैसले पर गराबड़ु नियोग ने नाराजगी जताई है। नियोग ने श्रीमंदिर प्रशासन के निर्णय को एक तरफा बताते हुए इसकी आलोचना की है। गराबड़ु नियोग के रजत प्रतिहारी ने कहा कि इस निर्णय से पहले छत्तीसा नियोग के साथ कोई चर्चा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि कभी कभार सेवायतों को घर से आते समय रास्ते में दिक्कत भी हो जाती है उसकी जांच कौन करेगा।