पुरी में मठों को तोड़ने का चल रहा षड्यंत्र: शंकराचार्य
Shankaracharya Nischalananda Saraswati. शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी ने कहा कि पुरी में मठों को तोड़ने से पहले राज्य सरकार योजना बनानी चाहिए थी।
जागरण संवाददाता, पुरी। भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी के ऐतिहासिक एमार मठ को तोड़े जाने पर अपनी नाराजगी जताते हुए जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी ने कहा है कि यहां के प्राचीन मठों को तोड़ने का षड्यंत्र चल रहा है।
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर संस्कृति एवं परंपरा को नष्ट करना अनुचित है। श्रीमंदिर के साथ मठों की परंपरा जुड़ी हुई है। मठों का संचालन स्वतंत्र ढंग से होना चाहिए। उन्होंने कहा है कि मठों को तोड़ने से पहले राज्य सरकार योजना बनानी चाहिए थी। इतनी मात्रा मठों को तोड़ने का जब सरकार ने फैसला किया तो फिर उसे यह सोचना चाहिए था कि आखिर इससे विस्थापित होने वाले लोग एवं देवी-देवता कहां जाएंगे। उन्होंने आयोग की रिपोर्ट, एमिकस क्यूरी के उठाए कदम, श्रीमंदिर के पूर्व प्रशासक पर अपनी नाराजगी जताई।
श्रीमंदिर के चारों तरफ 75 मीटर के क्षेत्र को करना है खाली
राज्य सरकार ने पुरी श्रीक्षेत्र धाम को ऐतिहासिक शहर बनाने तथा श्रीमंदिर पर आतंकवादी हमले की मिल रही खुफिया रिपोर्ट के मद्देनजर श्रीमंदिर की सुरक्षा के लिए श्रीमंदिर के चारों तरफ 75 मीटर के दायरे को खाली करने का निर्णय लिया है।
दायरे में आते हैं 12 मठ
श्रीमंदिर से 75 मीटर दायरे को जो खाली कराने का सरकार ने निर्णय लिया है, उसके दायरे में एमार मठ (नौ सौ साल पहले बना ऐतिहासिक मठ, जिसमें कुछ साल पहले बड़ी मात्रा में चांदी की दर्जनों ईट बरामद की गई थी ), लंगुली मठ, सानछता मठ, राधाबल्लभ मठ, मंगू मठ, राघव दास मठ, पंजाबी मठ, उत्तर पार्श्व पाठ, दक्षिण पार्श्व मठ, त्रिमाली मठ, कटकी मठ, छाउणी मठ 12 मठ, यात्री निवास, 175 निजी घर आते हैं। प्रशासन पहले मठों को तोड़ रहा है, इसके बाद इस दायरे में आने वाले उन घरों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी जो श्री जगन्नाथ मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाए गए हैं या उसके दायरे में आते है।