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Jagannath Rath Yatra: भाई-बहन के साथ रत्न वेदी से जन्म वेदी रवाना हुए महाप्रभु जगन्नाथ, जयकारे से गूंज उठा बड़दांड

Jagannath Rath Yatra 2021जय जगन्नाथ नयन पथ गामी भव तुमे के जयकारे से गुंजयमान हुआ जगन्नाथ धाम। रथ खीचने की प्रक्रिया रथ खींच रहे एक सेवक ने कहा हम तो केवल रथ की डोर पकड़े हैं रथ तो प्रभु की मर्जी से चले जा रहा है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 08:18 AM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 03:04 PM (IST)
Jagannath Rath Yatra: भाई-बहन के साथ रत्न वेदी से जन्म वेदी रवाना हुए महाप्रभु जगन्नाथ, जयकारे से गूंज उठा बड़दांड
रथयात्रा के लिए धाड़ी पहंडी में चतुर्धा विग्रह महाप्रभु जगन्नाथ

पुरी, जागरण संवाददाता। जय जगन्नाथ नयन पथ गामी भव तुमे के जयकारे के साथ त्रिस्तरीय अभेद्य सुरक्षा के बीच आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि में महाप्रभु जगन्नाथ जी की नव दिवसीय यात्रा का शुभारंभ रथयात्रा के साथ ही हो गया है। प्रभु जगन्नाथ जी बड़े भाई बलराम, बहन सुभद्रा व सुदर्शन चक्र के साथ रत्न वेदी को छोड़कर नव दिवसीय यात्रा पर जन्म वेदी को रवाना हुए जय जगन्नाथ के जयकारे से पूरा बड़दांड गुंजयमान हो उठा। हालांकि कोविड महामारी के कारण प्रतिबंध के बीच रथयात्रा का आयोजन किए जाने से से लगातार दूसरे साल लाखों की सख्या में भक्त बड़दाण्ड में रथारूढ चतुर्धा विग्रहों के साक्षात दर्शन करने एवं रथ खींचने से वंचित हुए हैं।

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सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

महाप्रभु की यात्रा में किसी भी प्रकार की कोई अड़चन ना आने पाए इसके लिए जल, थल एवं नभ तीनों जगह  सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। खुद प्रदेश के मुख्य सचिव असित त्रिपाठी, पुलिस महानिदेशक अभय एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी पुरी में मौजूद रहकर तमाम स्थिति पर पैनी नजर बनाए रहे। सेवकों के बीच बेहतर समन्वय होने के कारण निर्धारित समय से तीन घंटे पहले रथों को खींचने की प्रक्रिया शुरू हो गई।

पालकी में सवार होकर रथ पर छेरा पहंरा करने जाते गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव

10 बजकर 50 मिनट पर पालकी में सवार होकर गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव रथ के पास पहुंचे और तीनों रथों पर छेरा पहंरा नीति सम्पन्न किए। इसके बाद रथों में घोड़ा एवं सारथी लगाया गया। 12 बजकर 5 मिनट पर सबसे पहले प्रभु बलभद्र जी के रथ तालध्वज को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। 12 बजकर 55 मिनट पर देवि सुभद्रा जी के रथ दर्प दलन को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद 1 बजकर 35 मिनट पर भगवान जगन्नाथ जी के रथ को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। खबर लिखे जाने तक तीनों ही रथ सुव्यवस्थित ढंग से गुंडिचा मंदिर की तरफ अग्रसर थे। रथ खींच रहे सोना गोसाई सेवक देवेन्द्र ब्रह्मचारी ने कहा है कि हम तो केवल रस्सी को पकड़े हैं, भगवान तो अपनी इच्छा से चल रहे हैं। यह महाप्रभु की महिमा को दर्शाती है।

  शहर में तमाम सुरक्षा व्यवस्था के बीच इस अवसर पर मुख्य सचिव सुरेश चन्द्र महापात्र, पुलिस डीजी अभय, मंदिर के मुख्य प्रशासक डा. किशन कुमार, पुरी जिलाधीश समर्थ वर्मा, पुलिस अधीक्षक के.विशाल सिंह उपस्थित रहकर सुरक्षा व्यवस्था पर मैनी नजर बनाए रहे। इस अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नव किशोोर  दास भी रथारूण विग्रहों का दर्शन किया है।

 

-देेेवी सुभद्रा 

ताजा पुष्पों पर विराजमान हुए भगवान 

हवन के बाद रथों के आचार्य संपाति जल को लेकर तीनों रथों के ऊपर जाकर रथ प्रतिष्ठा नीति सम्पन्न करने के बाद श्री विग्रहों को रथों पर स्थापित किया गया । उनके आयुध बड़े भाई बलभद्र के रथ पर नृसिंह और उनके आयुध हल और मूसल स्थापित किए गए । भगवान के बैठने वाले स्थान पर ताजा पुष्पों को रखा गया। इसके पश्‍चात भगवान जगन्नाथ जी के नंदीघोष रथ पर हनुमान जी एवं भगवान के आयुध शंख व चक्र स्थापित किए गए। भगवती मां सुभद्रा के रथ पर भुवनेश्वरी के आयुध को स्थापित किया गया। 24 ब्राह्मणों द्वारा अभिमंत्रित जल को वेद मंत्रों के उच्‍चारण के साथ तीनों रथों पर छिड़काव किया गया। यह कार्य संपन्‍न होने के बाद रथ के महारणा सेवकों को फूल और ध्वजा दी गई, जिसे महारणा सेवकों ने  नीलचक्र में लगाया।

-प्रभु बलभद्र

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