Move to Jagran APP

किराए की बाइक पर होती है कोयले की तस्करी

निर्धारित स्थान तक तस्करी के कोयले की ढुलाई के लिए प्रति यात्रा 200 रुपये का भुगतान किया जाता है। कहा जाता है कि सैकड़ों लोग रात-दिन काम करते हैं उन्हें बाइक किराए पर दी जाती है। एक बाइक पर ढाई से तीन क्विटल कोयला लादा और ले जाया जाता है। एक व्यक्ति प्रतिदिन चार से छह चक्कर लगाकर आठ सौ से 12 सौ रुपये तक कमाता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 05:00 AM (IST)
किराए की बाइक पर होती है कोयले की तस्करी

संसू, झारसुगुड़ा : झारसुगुड़ा जिले में देश की सबसे बड़ी कोयला खदान है। जिले के ब्रजराजनगर और बेलपहाड़ क्षेत्र कोयला खदानों के लिए प्रसिद्ध हैं। वर्तमान में, केंद्र सरकार की महानदी कोल कंपनी लिमिटेड इन खदान का संचालन करती है, जबकि खनन, लोडिग, अनलोडिग, साइडिग, परिवहन आदि विभिन्न ठेकेदारों द्वारा किया जाता है। लेकिन विभिन्न स्तरों पर, माफिया द्वारा धड़ल्ले से कोयले की चोरी कर इसे खुलेआम बेचा जा रहा है। कोयले को काला हीरा भी कहा जाता है, काला हीरा इसलिए कि इससे केंद्र और राज्य सरकारों को रॉयल्टी के रूप में करोड़ों रुपये का रजस्व मिलता है। लेकिन इस काले हीरे को कुछ संगठित माफिया विभिन्न उपाय से चोरी कर वे भी करोड़ों रुपये कमा रहे है।

loksabha election banner

हालांकि जिले इस कारोबार में अपराध की सूची काफी लंबी हो चुकी है। ब्रजराजनगर, बेलपहाड़ थानों में हमेशा गैंगरेप, हत्याएं, गोलीकांड, अपहरण होते रहते हैं। कोयला माफिया अपनी धमक बढ़ाने के लिए संबंधित कार्यस्थल में आतंक पैदा करते रहने की बात पुलिस भी स्वीकारती रही है। कोयला व्यापार को लेकर अतीत में हुई कई हत्याओं ने लोगों में दहशत पैदा किया है। कोयले की तस्करी के संबंध में एक बड़ा अपराध किस बिदु पर होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। जिसने भी इस लेन-देन में दखल दिया उसे जान गंवानी पड़ी। इसलिए राष्ट्रीय कंपनी की तरह माफिया कोयला तस्करी में काम करते रहे हैं। इसके लिए फोर्स और टैक्टिक्स का भी इस्तेमाल किया जाता है। सूत्रों पर विश्वास करें तो कोयला माफिया के पीछे कई प्रभावशाली राजनेताओं के साथ कुछ पुलिस अधिकारियों का भी समर्थन है। यह कारोबार बड़े पैमाने पर व्यापक रूप से फैले होने के कारण असली अपराधी को पकड़ पाना पुलिस के लिए संभव नहीं है।

पूर्व में कोयला डिपो से कोयले की तस्करी की जा रही थी, लेकिन अब यह आरोप लग रहे है कि खनन क्षेत्रों से सीधे कोयले की तस्करी की जा रही है। प्रतिदिन कोयले साइडिग से बाइक के माध्यम से कोयले की तस्करी की जा रही है। सूत्र बतातें हैं, साइडिंग से कोयला ले जाकर ढाबों और ईट भट्टी में स्टोर किया जाता है। जहां से बाद मे धीरे-धीरे दूसरे जगह स्थानांतरित किया जा रहा है। कुछ कोयले को संसाधित कर तस्करी की जाती है, जबकि अन्य सीधे भेज दिए जाते हैं। हर सुबह और शाम, सैकड़ों बाइक और साइकिल कोयला लेकर जाते देखे जा सकते है। झारसुगुड़ा पुलिस ने शनिवार को बदेइमुंडा में कई बाइक सवारो को रोककर उन्हें कोयला चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। उनके पास से जो 12 बाइक जब्त की गईं, वे सभी किराए की बाइक थीं। एक व्यक्ति को निर्धारित स्थान तक तस्करी के कोयले की ढुलाई के लिए प्रति यात्रा 200 रुपये का भुगतान किया जाता है। कहा जाता है कि सैकड़ों लोग रात-दिन काम करते हैं, उन्हें बाइक किराए पर दी जाती है। एक बाइक पर ढाई से तीन क्विटल कोयला लादा और ले जाया जाता है। एक व्यक्ति प्रतिदिन चार से छह चक्कर लगाकर आठ सौ से 12 सौ रुपये तक कमाता है। कोयला कंपनी और पुलिस को तस्करी के बारे में अच्छी तरह से पता है। इस कारोबार से हर कोई वाकिफ है। कौन इस कारोबार को नियंत्रण कर रहा है, यह सबको पता है। लेकिन चोरी को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाने जाए के कारण करोड़ों रुपये की राष्ट्रीय संपत्ति कुछ बेईमान लोगों की जेब में जा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.