रेलवे के टाइम टेबल में ट्रेनों का ठहराव, पीआरएस सिस्टम में नहीं
दक्षिण-पूर्व रेलवे अंतर्गत बामड़ा व बागडे़ही स्टेशन चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत राजवाड़े समय का है। फिर भी रेलवे टाइम टेबल में संबंधित स्टेशनों पर संबंधित ट्रेनों का ठहराव दिखाए जाने के बावजूद पीआरएस सिस्टम में एक दिसंबर से संबंधित ट्रेनों का ठहराव नहीं दिखाया जा रहा है।
संसू, बामड़ा : दक्षिण-पूर्व रेलवे अंतर्गत बामड़ा व बागडे़ही स्टेशन चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत राजवाड़े समय का है। फिर भी रेलवे टाइम टेबल में संबंधित स्टेशनों पर संबंधित ट्रेनों का ठहराव दिखाए जाने के बावजूद पीआरएस सिस्टम में एक दिसंबर से संबंधित ट्रेनों का ठहराव नहीं दिखाया जा रहा है। चक्रधरपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम मनीष पाठक ने 21 दिसंबर तक त्रुटि में सुधार करने का भरोसा दिया था। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड को इस समस्या के समाधान के लिए पत्राचार किया गया है, परंतु अब तक कोई जवाब नहीं मिला। इस गड़बड़ी को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। बागड़ेही स्टेशन पर हटिया-पुरी तपस्विनी एक्सप्रेस और राजेंद्रनगर-दुर्ग दक्षिण बिहार एक्सप्रेस ट्रेन (अप एंड डाउन) और बामड़ा स्टेशन पर राउरकेला-भुवनेश्वर इंटरसिटी एक्सप्रेस, राजेंद्रनगर-दुर्ग दक्षिण बिहार एक्सप्रेस ट्रेन व हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव रेलवे टाइम टेबल में दिखाया गया है। जबकि एक दिसंबर से रेलवे के पीआरएस सिस्टम में संबंधित ट्रेनों का ठहराव इन स्टेशनों पर नहीं दिखाया जा रहा है।
रेलवे के पीआरएस सिस्टम इन ट्रेनों का संबंधित स्टेशनों पर ठहराव नहीं दिखाए जाने के कारण इन ट्रेनों से सफर करने वाले यात्रियों को बागड़ेही व बामड़ा स्टेशन जाने-आने के लिए डाउन लाइन में राजगांगपुर और अप लाइन में झारसुगुड़ा स्टेशन का टिकट लेना होगा। यात्रियों को इस सेवा के लिए अतिरिक्त 30 रुपये का भुगतान करना होगा। अंचल की लाइफ लाइन मानी जाने वाली पुरी-राउरकेला पैसेंजर और झारसुगुडा-हटिया पैसेंजर को एक्सप्रेस ट्रेन की मान्यता दिए जाने से यात्रियों को एक्सप्रेस के भाड़ा का भुगतान करना पड़ रहा है। इन ट्रेनों पर अंचल के किसान, दुग्ध उत्पादक, श्रमिक आत्मनिर्भर हैं। चक्रधरपुर रेल मंडल के वरिष्ठ अधिकारी ने चार माह पूर्व 15 दिनों के अंदर भाड़ा घटाने के लिए गरपोष रेल संघर्ष समिति से लिखित वादा किया गया था। आदिवासी बहुल क्षेत्र व रेल विभाग की अनदेखी के खिलाफ आक्रोशित उपभोक्ता, सांसद व जन प्रतिनिधियों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के झारसुगुड़ा दौरे के दौरान इन समस्याओं का समाधान करने व सभी ट्रेनों का ठहराव शुकू कराने की अपील की थी। रेल मंत्री के भरोसे के बावजूद अंचल के रेल यात्रियों को अब तक कोई लाभ या सुविधा नहीं मिली। नतीजतन रेलवे के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश समेत अन्य प्रांतों के सांसद ने अपने-अपने क्षेत्र में परिचालित ट्रेनों का ठहराव बहाल करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सवाल पूछा है। उन्होंने केंद्र सरकार को इसके दूरगामी प्रभाव को लेकर चेतावनी दी है। संबलपुर और बरगढ़ सांसद से भी अंचल वासियों ने संसद के शीतकालीन सत्र में प्रश्न करने की मांग की है। स्थानीय लोगों ने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो न सिर्फ आंदोलन किया जाएगा, बल्कि लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया जाएगा।