अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव नहीं, चयन हो : नायक
राज्य सरकार गैर अधिसूचित अंचल में अनुसूचित जनजाति को आरक्षण नहीं देने की योजना बना रही है। कुल 195 गैर अधिसूचित ब्लॉक में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं होने से आधे से अधिक पंचायतों में अनुसूचित जनजाति पंचायत चुनाव की प्रक्रिया से वंचित हो जाएगी।
संवाद सूत्र, झारसुगुड़ा : राज्य सरकार गैर अधिसूचित अंचल में अनुसूचित जनजाति को आरक्षण नहीं देने की योजना बना रही है। कुल 195 गैर अधिसूचित ब्लॉक में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं होने से आधे से अधिक पंचायतों में अनुसूचित जनजाति पंचायत चुनाव की प्रक्रिया से वंचित हो जाएगी। दूसरी ओर, अधिसूचित अंचल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की कोई आवश्यकता नहीं है। संयुक्त आदिवासी समाज व अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा की ओर से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव नहीं, बल्कि चयन करने की मांग की गई है।
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी पदों पर चुनाव न करा कर चयन करने, गैर अधिसूचित ब्लॉक में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर सरपंच, समिति सदस्य, जिला परिषद अध्यक्ष व जिला परिषद सदस्य के पद को आरक्षित करने की मांग की गई। ऐसा नहीं होने पर राज्यव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी गई। सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में ये बातें अध्यक्ष माधव सिंह नायक व सलाहकार तथा अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के राज्य अध्यक्ष महेंद्र नायक ने कही। इस अवसर पर किसान समाज के राज्य अध्यक्ष मोहन लाल किसान, सलाहकार व किसान समाज के राज्य उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक वृंदावन मांझी, केएसपीएम के अध्यक्ष रत्नाकर प्रधान, सलाहकार प्रभाकर ओराम, महासचिव लिगराज प्रधान, डमरुधर नायक, नवीन कुमार कुम्हरा, प्रेम सागर धुर्वा, त्रिलोचन दडंसेना, विनोद बिहारी बाग व बरगढ़ जिला आदिवासी दलित मंच के अध्यक्ष निराकरण प्रधान आदि उपस्थित थे। दर्शकों की मांग पर 'दूर आकाशे' का हुआ पुन: मंचन : पश्चिम ओडिशा की प्रसिद्ध नाट्य संस्था मिरर थिएटर के कलाकारों ने दर्शकों के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए रविवार की रात 'दूर आकाशे' नाटक का पुन: मंचन किया। ज्ञात हो कि अक्टूबर में इस नाटक का मंचन हुआ था। मिरर थिएटर के नाट्यकार सुभाष प्रधान लिखित व निर्देशित इस नाटक में सरस्वती प्रधान व शिशु कलाकार भवेश प्रधान के जीवंत अभिनय ने सभी दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया था। नाटक में बताया गया है कि लोगों के जीवन संग्राम में किसी की जीत तो किसी की हार होती है, लेकिन मां की ममता न कभी हारती है और न ही कभी मरती है। मां की ममता हमेशा अमर रहती है। उसकी महानता को मापा नहीं जा सकता। नाटक का संगीत निर्देशन गौरी शंकर कुम्भार ने किया। विनय प्रधान, सौभाग्य रंजम साहू, कान्हा बगर, सोनिया बेहरा, परमेश्वर मरई, लव प्रधान, पंचानन मिश्र, सविता दास, पंकज कुमार, जितेन प्रधान, रोहन सिंहदेव, शुभकांत साहू, श्रवण बेहरा व विकास किसान इत्यादि ने परोक्ष रूप से नाटक के मंचन में सहयोग प्रदान किया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के विचारक व वरिष्ठ नाट्यकार, निर्देशक, तथा चलचित्र अभिनेता मनोज पटनायक बतौर मुख्य अतिथि व नाट्य समीक्षक गणेश पाढ़ी, बेंगलुरु के जुहार परिवार के विश्वजीत प्रधान व योगाचार्य फणीन्द्र सा ने विशिष्ट अतिथि का दायित्व निभाया। इनके अलावा आनंद महाकुड़, पारस जायसवाल, शरत साहू, रमाकांत मल्लिक, सच्चिदानंद पंडा एवं कन्हाई सेठ उपस्थित थे। सभी अतिथियों को उत्तरीय व पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। संतोष साहू ने कार्यक्रम का संचालन किया और संस्था के निदेशक सुभाष प्रधान ने मिरर थिएटर की अब तक की संघर्ष यात्रा की विवरणी प्रस्तुत की। अंत में गौरी शंकर कुम्भार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के आयोजन में जेनामनी सेठ, डा. दिलीप नायक, रंजीता विस्वाल, संतोष साहू, चितामणि मेहर, सरोज मिर्धा, सुशांत महाराणा, जितेन प्रधान, रोहन सिंहदेव, शुभकांत साहू, श्रवण बेहरा व विकास किसान इत्यादि ने आयोजन में आवश्यक सहयोग प्रदान किया।