विदेशी पक्षियों के कलरव से गूंज रहा सिघाबगा
हीराकुद जलभंडार विदेश से आने वाले पक्षियों के लिए सुरक्षित उपनिवेश है। शीत ऋतु के आगमन के साथ ही हीराकुद जलभंडार अंचल में विदेशी पक्षियों का झुंड देखने को मिलता है।
संसू, झारसुगुड़ा : हीराकुद जलभंडार विदेश से आने वाले पक्षियों के लिए सुरक्षित उपनिवेश है। शीत ऋतु के आगमन के साथ ही हीराकुद जलभंडार अंचल में विदेशी पक्षियों का झुंड देखने को मिलता है। झारसुगुड़ा शहर के उपखंड में स्थित सिघाबगा गांव के किनारे हेडन नदी व हीराकुद जलभंडार के पिछला पानी (फेंक वाटर) में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में विदेशी पक्षियों का आगमन होता है। इसे यहां के परिवेश के अनुरूप आर्कषक बनाया गया है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी शीत ऋतु के आरंभ होते ही विदेशी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। गांव में विदेशी पक्षियों का कलरव भी सुनाई दे रहा है। विदेशी पक्षी अंचल के बाहरी लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। हीराकुद जलभंडार का किनारा विदेशी पक्षियों के लिए सुरक्षित स्थान बन गया है। भोजन की तलाश में ये पक्षी इस स्थल पर पहुंचते हैं। यहां भरपुर खाद्य व पानी में उत्पन्न होने वाले उदबीज ,कीट पतंग व जंगल जीव की बहुलता है, जो अतिथि पक्षियों को यहां महीनों रहने का अवसर प्रदान करता है। एक माह से अधिक समय से यहां विभिन्न प्रजाति के पक्षी देखने को मिल रहे हैं। दिन-प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। हीराकुद जलभंडार के उपकुल में स्थित झारसुगुड़ा वन विभाग की ओर से बड़े पैमाने पर पौधारोपण भी किया गया है। इसकी सुरक्षा के लिए सिघाबगा गांव के गोवर्धन को रखा गया है। गोवर्धन ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व दो शिकारी बंदूक लेकर मोटर साइकिल से आए थे। मना करने के बाद वे लोग शिकार किए बिना वापस लौट गए। पशु प्रेमियों व वाइल्ड लाइफ तथा पक्षियों पर विशेष अध्ययन करने वाले आशीष शुक्ला का कहना है कि अतिथि पक्षियों के आगमन को देखते हुए शिकारी भी यहां आते हैं। इसलिए इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। शिकारियों से अतिथि पक्षियों को बचाने वाले गोवर्धन को वन विभाग की ओर से पुरस्कृत किया जाना चाहिए। सिघाबगा गांव के लोगों का कहना है कि वे लोग यहां आने वाले अतिथि पक्षियों की सुरक्षा व शिकारियों पर भी नजर रखते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए पूरा गांव प्रयत्नशील रहता है। सिघाड़ा गांव में शीत ऋतु शुरू होते ही रेड क्रेष्टेड, पोर्गाड, गार्डवाल, विजन, नर्दन, पिडारी, गोर्गेनी, ओगटेल, स्पट् बीलडक, सेंड पाइपर्स आदि विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का आगमन होता है। सरकार को सिघाड़ा अंचल में पशु सुरक्षा व पर्यटन के दृष्टिकोण से इस अंचल के विकास के लिए उचित कदम उठाना चाहिए। पिछले एक वर्ष से साइंटिफिक स्टडी भी जारी है। सिघाड़ा के इस अंचल को वेट लैंड तथा बायो डायवर्सिटी सिटी हॉट स्पॉट (माइक्रो हेवीटेट) होने के कारण इसका सरंक्षण आवश्यक है। सिघाड़ा में मंगोलिया, साइबेरिया, रसिया, यूरोप समेतभारत के लद्दाख से भी बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं।