बंधबहाल में पंचमुखी हनुमान मंदिर का रत्नमुद उत्सव संपन्न
लखनपुर क्षेत्र की बंधबहाल कॉलोनी परिसर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर का तीन दिवसीय रत्नमुद उत्सव शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर आयोजित हवन यज्ञ के कर्ता का दायित्व मृत्युंजय मुदुली तथा डी एन प्रसाद ने सपत्नीक निभाया।
संसू, ब्रजराजनगर : लखनपुर क्षेत्र की बंधबहाल कॉलोनी परिसर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर का तीन दिवसीय रत्नमुद उत्सव शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर आयोजित हवन यज्ञ के कर्ता का दायित्व मृत्युंजय मुदुली तथा डी एन प्रसाद ने सपत्नीक निभाया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में एमसीएल के श्रद्धालु अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की एवं रत्नकुम्भ में अपनी श्रद्धानुसार विविध द्रव्य डाले। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए एमसीएल लखनपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक अनिल कुमार सिंह ने कहा कि श्रद्धालुओ की इच्छाओं का सम्मान करते हुए एवं उनके संकल्प को पूरा करने के लिए इस मंदिर परिसर में शीघ्र ही एक 100 फुट ऊंचाई वाली बजरंगबली की प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया जाएगा। महाप्रबंधक की इस घोषणा के बाद उपस्थित श्रद्धालुओं में खुशी की लहर दौड़ गई। पंडित जयराज, सत्यब्रत, संतोष, करुणाकर दास, इत्यादि ने विधिविधान से पूजा पाठ सम्पन्न कराया। इससे पूर्व गुरुवार को नजदीकी तालाब से विशाल कलश यात्रा के माध्यम से महिलाओं तथा युवतियों ने जल लाकर सभी कलशों को पूजा स्थल पर स्थापित किया गया। ज्ञात हो कि इस पंचमुखी हनुमानजी की इलाके में काफी मान्यता है इसलिये श्रद्धालुओं की काफी भीड़ भी जुटी थी। परेखपाड़ा में जंघा बड़देव के नूतन विग्रह की स्थापना : झारसुगुड़ा जिला के कोलाबीरा ब्लाक स्थित केलडामाल के समीप परेखपाड़ा में गौंड समाज के ईष्ट देव जंघा बड़देव के नूतन विग्रह की स्थापना की गई। आयोजकों की ओर से दी गई सूचना के अनुसार, परेखपाड़ा के कृपानिधि पारेख की धर्मपत्नी द्रौपदी को जंघा बड़देव के नूतन विग्रह की स्थापना के लिए सपना में आदेश मिला था। इसके बाद सियालरमा जंगल में जिस पेड़ को काटा जाना था, उसकी पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद पेड़ को काट कर नूतन विग्रह तैयार किया गया। फिर सामाजिक विधि-विधान से विग्रह की प्रतिष्ठा की गई। रेडलाइट गांव के कैलाश कुमुरा व अरुण मांझी ने पुजारी के दायित्व का निर्वाह किया। इस अवसर पर पारेखपाड़ा गांव के लोगों के साथ सियालरमा, गुडीगां, केलडामाल आदि गांव के गौंड समाज के लोग उपस्थित थे।