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गैरकानूनी तरीके से चल रहे ईंट भट्ठा से बढ़ रहा प्रदूषण

जहां एक ओर वायु प्रदूषण व मिट्टी संरक्षण के लिए राज्य सरकार मिट्टंी से निर्मित ईंट तैयारी व बिक्री पर रोक लगाकर रखी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 07:45 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 07:45 PM (IST)
गैरकानूनी तरीके से चल रहे ईंट भट्ठा से बढ़ रहा प्रदूषण
गैरकानूनी तरीके से चल रहे ईंट भट्ठा से बढ़ रहा प्रदूषण

संसू, झारसुगुड़ा : जहां एक ओर वायु प्रदूषण व मिट्टी संरक्षण के लिए राज्य सरकार मिट्टंी से निर्मित ईंट तैयारी व बिक्री पर रोक लगाकर रखी है। वहीं झारसुगुड़ा के कई अंचलों में खुलेआम गैरकानूनी रूप से बंगला ईंट भट्टा चल रहा है। शहर के सालेटिकरा व पंचपड़ा अंचल में चल रहे ईंट भट्टा अंचलवासियों को प्रदूषण देने के साथ तापमान को भी बढ़ा रहे हैं। जिले में वैसे ही शिल्प व खदान ने प्रदूषण की हद पार कर रखा है। वहीं जिले में गैरकानूनी कोयला चालान प्रति दिन हो रहा है, और इसका एक बड़ा हिस्सा गैरकानूनी ईंट भट्टा में उपयोग किया जाता है। वर्तमान में झारसुगुड़ा ब्लाक अंचल में 20 से अधिक बंगला ईंट भट्टा चल रहा है। इसके अलावा कई गैरकानूनी चिमनी भट्टा भी है। पर इस पर प्रशासन की नजर ही नहीं पड़ती है। विदित हो कि वर्ष 2014 में ही राज्य सरकार ने गजट विज्ञप्ति प्रकाश कर मिट्टी के ईंट पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अन्य कई मामलों में ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मिट्टी से तैयार किए जाने वाले लाल ईंट को पूर्ण रूप से बंद करने का आदेश दिया था। और राज्य सरकार

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ने मिट्टी के ईंट को बंद करने के कार्यवाही करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी निर्देश दिया था। मगर यह सब कागज पत्र में ही रह गया है। राज्य सरकार ने फ्लाई एस से ईंट बनाने के लिए फ्लाई एस निश्शुल्क उपलब्ध कराने की बात भी कही थी। फ्लाई एस से ईंट निर्माण से लोगों को नियुक्ति भी मिलेगी। सरकार ने फ्लाई एस यूनिट लगाने के लिए हर संभव मदद देने के साथ इसके लिए प्रशिक्षण देने की बात भी कही थी। फ्लाई एस जिसे जहां तहां डाल दिया जाता है। जिससे पर्यावरण के साथ-साथ खेती को जो नुकसान होता है। उससे भी काफी राहत मिलेगी। मगर विभागीय अधिकारियों की अवहेलना से यह योजना भी कार्यकारी नहीं हो पाई है। शिल्प व खदानों के प्रदूषण के साथ-साथ बंगला ईंट भट्टा के कारण जिले में लगातार वायु प्रदूषण व तापमान में वृद्धि हो रही है। मगर राजस्व व प्रदूषण विभाग अपना कर्तव्य पालन करने में पूर्ण रूप से असफल रहे है। जिसके कारण गत छह वर्षो में झारसुगुड़ा देश के दस सबसे प्रदूषण शहरों में है। इस संबंध में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी एचएन नायक व तहसीलदार दिलीप प्रधान से बात करने का बहुत प्रयास किया गया। मगर दोनों ही इस संबंध में बात करने से बचते रहे।


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