असीमित ज्ञान के भंडार थे र¨वद्र नाथ टैगोर
संसू, झारसुगुड़ा : बंगाली समिति की ओर से काली मंदिर परिसर में विश्व कवि र¨वद्र नाथ टैगोर की 157वीं जय
संसू, झारसुगुड़ा : बंगाली समिति की ओर से काली मंदिर परिसर में विश्व कवि र¨वद्र नाथ टैगोर की 157वीं जयंती मनायी गई। इसमें बतौर मुख्य अतिथि ओडिशा साहित्य एकेडमी की सदस्य सह अध्यापिका डॉ. मंदाकिनी सतपति ने कहा कि विश्व कवि असीमित ज्ञान के भंडार थे।
सम्मानित अतिथि शिक्षावीद गौरी शंकर तिवारी, मणालकांती बोस, डॉ. पीसी विश्वाल, गौतम कवि, सुब्रत डॉन, डॉ. स्वर्णमई पुरोहित, प्रो. टेहलु साहू ने भी कवि टैगोर की जीवनी पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि र¨वद्र नाथ न तो साधू थे ना ही साधक। फिर भी उनके पास अगाध ज्ञान भरा था। विश्व साहित्य में कवि र¨वद्र नाथ का महान योगदान रहा है। इसी कार्य के लिए आज भी पूरा विश्व उन्हें स्मरण करता है। बंगाली समिति के सचिव तापस राय चौधरी के तत्वाधान में आयोजित जयंती समारोह में 50 से अधिक कलाकारों ने नृत्य व संगीत प्रस्तुत किया। इसमें छोटे बच्चों के नृत्य संगीत ने दर्शकों का दिल जीत लिया।