गत वर्ष से कोरोना के चलते सुनसान पड़ा है रेलवे स्टेशन
रेलवे जंक्शन बोलने पर लोगों को सबसे पहले झारसुगुड़ा रेलवे जंक्शन ही याद आता है। झारसुगुड़ा शहर व स्टेशन के बीच एक समानता है। यह राज्य का पहला रेलवे स्टेशन है।
संसू, झारसुगुड़ा : रेलवे जंक्शन बोलने पर लोगों को सबसे पहले झारसुगुड़ा रेलवे जंक्शन ही याद आता है। झारसुगुड़ा शहर व स्टेशन के बीच एक समानता है। यह राज्य का पहला रेलवे स्टेशन है। साल 1891 में तत्कालीन नागपुर-बंगाल द्वारा नागपुर-आसनसोल का रेल पथ का निर्माण हुआ था। और फिर हावड़ा-मुंबई रेल लाइन पर इस स्टेशन से होकर ट्रेन शुरू हुई, और इसे जंक्शन का दर्जा मिला था। इस स्टेशन से यात्रियों को पर्याप्त सुविधा मिलने के साथ ही पश्चिम ओडिशा के लोग यहां से देश के अन्य शहरों के लिए यात्रा करते हैं। इसी लिए झारसुगुड़ा को पश्चिम ओडिशा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। मगर गत वर्ष कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन व शटडाउन से रेल का आवागमन बंद हो गया था। उस वक्त से यह स्टेशन का महत्व बहुत पैमाने पर कम हो गया है। गत वर्ष कोरोना के समय स्टेशन पर लगी पाबंदी के बाद से स्टेशन के मुख्य द्वार को बंद किया गया था। जो अभी तक बंद है। और पहले जैसे चहल-पहल अब नजर ही नहीं आती है। जिसके कारण इस स्टेशन को ले कर अपनी जीविका निर्वाहन करने वाले लोग बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं। वर्तमान में रेल विभाग केवल स्पेशल ट्रेन ही चला रहा है। पहले से रिजर्वेशन कराने वाले यात्री ही यात्रा कर पा रहे हैं। जिसके कारण यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है और इसके चलते स्टेशन भी सुनसान हो गया है। कोरोना के चलते कई ट्रेनों को रद कर दिया गया है। साथ ही कुछ ट्रेनों का गतिपथ परिवर्तन कर झारसुगुड़ा रोड स्टेशन में कर दिया गया है। उक्त सभी कारणों से वर्तमान में झारसुगुड़ा जंक्शन में यात्रियों कि संख्या 80 फीसदी से भी कम हो गई है। वहीं स्पेशल ट्रेन भी नियमित रूप से नहीं चलती है। साथ ही पैसेंजर ट्रेन के बंद होने से लोगों व छोटे व्यवसाईयों को प्रतिदिन रोजमर्रा की सामग्री लेकर गांव-देहात से ट्रेन द्वारा आते थे। उन्हें भी परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं फिर से कोरोना कि दूसरी लहर के बढ़ते प्रभाव से अब फिर से एक बार ट्रेनों के बंद होने कि आशंका बढ़ने लगी है।