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मानव समाज को सचेतन करना ही मिरर थिएटर का उद्देश्य

संसू ब्रजराजनगर झारसुगुड़ा जिले के बेलपहाड़ स्थित पश्चिम ओडिशा की विशिष्ट नाट्य संस्था

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 07:54 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 07:54 PM (IST)
मानव समाज को सचेतन करना ही मिरर थिएटर का उद्देश्य
मानव समाज को सचेतन करना ही मिरर थिएटर का उद्देश्य

संसू, ब्रजराजनगर : झारसुगुड़ा जिले के बेलपहाड़ स्थित पश्चिम ओडिशा की विशिष्ट नाट्य संस्था मिरर थिएटर का 26वां स्थापना दिवस बुधवार को सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया। संबलपुरी नाटक को एक अलग पहचान दिलाने के लिए इस संस्था के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। वर्ष 1993 में पांच-छह युवा कलाकारों को लेकर लेखक, अभिनेता तथा निदेशक सुभाष चंद्र प्रधान ने संस्था की नींव रखी थी। आज यह संस्था पूरे ओडिशा में अपना सुनाम अर्जित कर चुका है। सुभाष चंद्र प्रधान का कहना है कि नाटक को व्यवसाय न मानकर पूरे मानव समाज को सचेतन करना ही मिरर थिएटर का उद्देश्य है। सामाजिक समस्याओं को लोकलोचन में लाकर आम लोगों को इसके प्रति सचेतन करना ही इसने अपना मुख्य उद्देश्य समझा है। समय के साथ कई कलाकर संस्था से जुड़ते गये। अब तक 500 से अधिक युवक व युवतियां इस संस्था से अभिनय की शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं। राज्य तथा राज्य के बाहर संबलपुरी नाटकों का मंचन कर यह संस्था कई बार झारसुगुड़ा जिले का नाम रोशन कर चुकी है। संस्था द्वारा अब तक 26 नाटकों का अखिल भारतीय स्तर पर मंचन किया जा चुका है। संस्था द्वारा प्रदर्शित द्वितीय गांधी, घोड़ा, तोर किरिया, भात मुठे, खुला झारका, लाल पाएन, बड़खा दादा, अप्रैल 27, स्माइल प्लीज इत्यादि नाटकों ने अखिल भारतीय स्तर पर संस्था को देश की अग्रणी नाट्य संस्था बना दिया।

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संस्था द्वारा 1993 में कटक के युवा विकास केंद्र में मंचित 'समया' नाटक से सफर शुरू किया और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साथ ही संस्था के कलाकारों ने 500 से अधिक नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से भी समाज को सचेतन करने में अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा विभिन विद्यालयों एवं शिशु महोत्सव में शिशु नाटकों के माध्यम से भी संस्था ने अपना सिक्का जमाया है। संस्था के नाटक झांयेरे, मोर कथानी, फेर सामिया आसिछे तथा लाल पाएन इत्यादि नाटकों ने नई दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी समेत अन्य शहरों में भी अपना दबदबा कायम किया है। संस्था का नाटक 'खोला झरका' 2005 में संबलपुर दूरदर्शन तथा 2008 में भुवनेश्वर दूरदर्शन पर प्रसारित हो चुका है। हीराकुद बांध के विस्थापितों की दुर्दशा पर आधारित नाटक 'लाल पाएन' ओडिशा से मनोनीत होनेवाला एकमात्र नाटक था। जिसे असम के गुवाहाटी में आयोजित आठवें थिएटर ओलंपिक्स में 19 मार्च 2018 को प्रदर्शित किया गया था। यह नाटक देश के विभिन्न शहरों में 148 बार प्रदर्शित हुआ एवं इसके लिए संस्था को विभिन्न संगठनों द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। संस्थापक सुभाष चंद्र प्रधान अपने नाटकों के माध्यम से देश व विदेशों में ख्याति प्राप्त कर चुके हैं। फ्रांस, बेल्जियम, निदरलैंड, डेनमार्क, नार्वे, फिनलैंड समेत अन्य देश में भी इन्होंने नाटक मंचन किया है। वे कनाडा की नाट्य संस्था डबल डेफी की ज्यूरी के सदस्य भी हैं।

इससे पहले बुधवार को स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए सुभाष चंद्र प्रधान ने कहा कि भौतिकतावादी युग मे जहां सिनेमा एव टीवी सीरियलों को देखने की होड़ है वही हमने नाटकों के माध्यम से संबलपुरी भाषा, साहित्य, लोक कला, संस्कृति, परंपरा एवम आदर्शों को बचाने के प्रयास कर रहे हैं। बेलपहाड़ जैसे शहर में नाटकों के मंचन की आवश्यक सुविधाएं नहीं होने के बावजूद संस्था के कलाकारों ने लोगों में नाटकों के प्रति रुचि पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। अंत मे उन्होंने युवा पीढ़ी से नाट्य संस्था से जुड़कर अभिनय के क्षेत्र में सफलता हासिल करने का आह्वान किया।


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